अभिव्यक्ति

अपने ही मंत्री के “ढोल गंवार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥” वाले बयान पर नितीश कुमार का हमला

डेस्क: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा रामचरितमानस के चौपाइयों का गलत अर्थ बताकर “रामचरितमानस ने सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा दिया और समाज में नफरत फैलाई” जैसे बयान दिए जाने के बाद से ही देशभर में लगातार उनका विरोध किया जा रहा है। भाजपा नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने 30 जिलों में मंत्री के खिलाफ याचिका दायर की है और जल्द ही सभी 38 जिलों में याचिका दायर की जाएगी।

चंद्रशेखर के इस बयान को हिंदुओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताया जा रहा है। भाजपा के अनुसार रामचरितमानस के चौपाइयों का गलत अर्थ युवाओं को दिक्भ्रमित करने के लिए बताया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि बहुसंख्यक हिन्दुओं में अपने ही धर्म के प्रति उदासीनता लाया जा सके।

भाजपा द्वारा दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि चंद्रशेखर ने हिंदू समुदाय का अपमान करने के लिए महाकाव्य ‘रामचरितमानस’ के बारे में विवादित टिप्पणी करके समाज को विभाजित करने और विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य पैदा करने की सोची समझी साजिश के तहत ऐसा किया।

Chandrashekhar's statement on Ramcharitmanas

अपने ही मंत्री के बयान पर नीतीश कुमार का हमला

यहाँ तक कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने भी चंद्रशेखर के बयान की आलोचना की है और उनसे माफी की मांग की है। चंद्रशेखर की टिप्पणी के कुछ दिनों बाद देश भर में आक्रोश भड़क गया, जबकि डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि इस मामले को बढाकर भाजपा ‘हिंदू-मुस्लिम राजनीति’ कर रही है।

ज्ञात हो कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस में लिखी गई चौपाई; “ढोल गंवार शूद्र पशु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी” को लेकर लोगों में यह गलतफहमी फैलाई जा रही है कि इस चौपाई में तुलसीदास जी ने शूद्र अर्थात वंचित वर्ग को प्रताड़ना का अधिकारी बताया है। यहाँ चंद्रशेखर ने ‘ताड़ना’ का अर्थ ‘प्रताड़ना बताया है।

रामचरितमानस की इस चौपाई का अर्थ समझने से पहले रामचरित मानस की भाषा एवं वर्तनी से जुड़ी कुछ जानकारियों के बारे में जानना जरुरी है। रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की गयी है अर्थात इसकी भाषा अवधी है। रामचरित मानस के ही पाँचवे अध्याय सुंदरकांड में यह चौपाई “ढोल गंवार शूद्र पशु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी॥” आती है।

यह है चौपाई का सही अर्थ

पहले इस चौपाई में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ समझ लेते हैं “ढोल यानि ढोलक, गवार यानि अनपढ़, शूद्र यानि वंचित वर्ग, पशु यानि जानवर, नारी यानि स्त्री, सकल मतलब सम्पूर्ण, ताड़ना यानि पहचनाना या परख करना, अधिकारी यानि हक़दार” तो इस प्रकार इस पूरे चौपाई का अर्थ यह हुआ कि “ढोलक, अनपढ़, वंचित, जानवर और नारी, यह पांच पूरी तरह से जानने के विषय हैं।”

Controversy over Ramcharitmanas

तुलसीदास इस चौपाई के माध्यम से यह कहना चाहते थे कि ढोलक को अगर सही से नहीं बजाया जाय तो उससे कर्कश ध्वनि निकलती है अतः ढोलक पूरी तरह से जानने या अध्ययन का विषय है। इसी तरह अनपढ़ व्यक्ति आपकी किसी बात का गलत अर्थ निकाल सकता है या आप उसकी किसी बात को ना समझकर उसका गलत अर्थ निकाल सकते हैं। अतः उसके बारे में अच्छी तरह से जान लेना चाहिए। वंचित वर्ग के व्यक्ति को भी जानकर ही आप किसी कार्य में उसका सहयोग ले सकते हैं अन्यथा कार्य की असफलता तय है।

पशु के पास सोचने एवं समझने की क्षमता मनुष्य जितनी नहीं होती इसलिए कई बार वो हमारे किसी व्यवहार, आचरण, क्रियाकलाप या गतिविधि से आहत हो जाते हैं और ना चाहते हुए भी असुरक्षा के भाव में असामान्य कार्य कर बैठते हैं अर्थात आप पर हमला कर बैठते हैं। इसी प्रकार अगर आप स्त्रियों को नहीं समझते तो उनके साथ जीवन निर्वहन मुश्किल हो जाता है। यहां स्त्री का तात्पर्य माता, बहन, पत्नी, मित्र या किसी भी ऐसी महिला से है जिनसे आप जीवनपर्यन्त जुड़े रहते हैं।

सुन्दरकाण्ड में एक और चौपाई है कि “हरिजन जानि प्रीति अति गाढ़ी। सजल नयन पुलकावलि बाढ़ी॥” यहाँ “हरिजन” शब्द का प्रयोग किया गया है। अब कुछ लोग “हरिजन” शब्द को भी समाज के वंचित समुदाय से जोड़कर बताएँगे। बता दें कि वंचित समुदाय के लिए “हरिजन” शब्द का प्रयोग महात्मा गांधी जी ने किया था। लेकिन रामचरित मानस में इस शब्द का अर्थ है भगवान का जन या सेवक। अर्थात जब हनुमान जी अशोक वाटिका में पहली बार सीता जी के सामने जाकर उन्हें अपना परिचय देते हैं तो हनुमान जी को भगवान का जन अर्थात सेवक जानकर सीता माता को अत्यंत प्रसन्नता होती है। हनुमान जी को देखकर सीता माता के नेत्रों में जल भर आया और उनका शरीर अत्यंत पुलकित हो गया।

गोस्वामी तुलसीदास जी के चौपाइयों का गलत अर्थ बताने वाले समाज में बहुत हैं। ऐसा करने वालों से बचें। कुछ असामाजिक तत्व समाज को तोड़ने के लिए सनातन धर्म के प्रति समाज में ऐसी गलत धारणाएं फैलाते हैं। हमें उन्हें पहचानने की और इससे बचने की जरुरत है।

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