इस प्रकार एक भारतीय की वजह से शुरू हुआ भारतीय रेलवे, जानिए कौन थे वह!
डेस्क: आज अगर किसी से भी पूछा जाए कि भारतीय रेलवे की स्थापना किसने की थी तो अधिकांश लोग ईस्ट इंडिया कंपनी का ही नाम लेंगे। लेकिन यह सत्य नहीं है। दरअसल, ईस्ट इंडिया कंपनी सिर्फ एक विक्रेता थे। वास्तव में रेलवे का स्वप्न एक भारतीय ने देखा था।
भारतीय गौरव को छिपाने के लिए इतिहास से की गई छेड़छाड़ का नतीजा है कि हम रेलवे को अंग्रेजों की देन समझते हैं। रेलवे अंग्रेजों के कारण नहीं बल्कि श्री नाना जगन्नाथ शंकर सेठ मुरकुटे की योगदान और मेहनत के वजह से भारत में शुरू हुई।
15 सितंबर 2830 को जब दुनिया की पहली इंटरसिटी ट्रेन इंग्लैंड में लिवरपूल से मैनचेस्टर के बीच चली तो यह समाचार कुछ ही समय में दुनियाभर में फैल गया था। उस वक्त मुंबई में एक व्यक्ति को इस खबर को सुनकर बहुत दुख हुआ। उन्होंने सोचा कि उनके गांव में भी रेल चलनी चाहिए।
अपने गांव में रेल चलाने का स्वप्न देखने वाला यह व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं था। बल्कि वह मुंबई के साहूकार श्री नाना शंकर सेठ थे जिन्होंने स्वयं ईस्ट इंडिया कंपनी को ऋण दिया था। श्रीनाना शंकरशेठ का वास्तविक नाम जगन्नाथ शंकर मुर्कुटे था। वह मूल रूप से बंबई से लगभग 100 कि. मी. दूर स्थित मुरबाड़ से थे।
अंग्रेजों के बड़े नामी साहूकार थे श्रीनाना शंकरशेठ के पिता
पीढ़ीगत रूप से समृद्ध श्रीनाना शंकरशेठ के पिता अंग्रेजों के बड़े नामी साहूकार थे। उन्होंने ब्रिटिश – टीपू सुल्तान युद्ध के समय बहुत धन अर्जित किया था। उनका एक मात्र पुत्र नाना थे। यह कहना गलत नहीं होगा कि श्रीनाना मुंह में सोने का चम्मच लेकर पैदा हुए थे। हालांकि, केवल धन ही नहीं, उनके पास ज्ञान का भी अथाह भंडार था।
बंबई विश्वविद्यालय, एल फिन्स्टन कॉलेज, ग्रांट मेडिकल कॉलेज, लॉ कॉलेज, जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स, बंबई में कन्याओं के लिए पहला विद्यालय आदि श्रीनाना द्वारा स्थापित किये गये थे ।
श्रीनाना शंकरशेठ ने बंबई में रेलवे प्रारंभ करने का विचार बनाया अपने पिता के मित्र सर जमशेदजी जीजीभाय उर्फ जे जे को अपना विचार सुनाया। साथ ही उन्होंने इंग्लैंड से आए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सर थॉमस एर्स्किन पेरी की भी राय ली। बाद में इन तीनों ने मिलकर भारत में इंडियन रेलवे एसोसिएशन की स्थापना की।
इस प्रकार शुरू हुआ भारतीय रेलवे
उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत में रेलवे बनाने का कोई विचार नहीं था। लेकिन जब श्रीनाना शंकरशेठ, सर जेजे, सर पैरी जैसे लोगों ने कहा कि वे इस कार्य के लिए गंभीरता से इच्छुक हैं, तो कंपनी को इस ओर ध्यान देना पड़ा।
13 जुलाई 1844 को कंपनी ने सरकार को एक प्रस्ताव पेश किया। बंबई से कितनी दूर तक रेल की पटड़ी बिछाई जा सकती है, इस पर प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार करने की आज्ञा दी गई। उसके पश्चात ‘बॉम्बे कमेटी’ का गठन किया गया। नाना ने कुछ अन्य बड़े अंग्रेज व्यापारियों, अधिकारियों, बैंकरों को एकत्रित किया और ग्रेट इंडियन रेलवे की स्थापना कर दी। जिसे आज भारतीय रेल के नाम से जाना जाता है।
अंत दिनांक 16 अप्रैल 1853 को दोपहर 3:30 बजे ट्रेन बंबई के बोरीबंदर स्टेशन से ठाणे के लिए रवाना हुई। इस ट्रेन में 18 डिब्बे और 3 लोकोमोटिव इंजन थे । इस ट्रेन के यात्रियों में श्रीनाना शंकरसेठ एवं जमशेदजी जीजीभाय टाटा भी थे। इस प्रकार एक भारतीय की वजह से भारतीय रेलवे की स्थापना हुई।
– अभिषेक पाण्डेय