शिक्षा

UPSC टॉपर श्रुति शर्मा ने बताया सफलता का राज़, ऐसे तैयारी करने पर मिली सफलता

 

डेस्क: सेंट स्टीफंस की पूर्व छात्र श्रुति शर्मा को भरोसा था कि यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2021 में वह उत्तीर्ण हो जाएँगी, लेकिन उन्हें टॉपर बनने की उम्मीद नहीं थी।
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सोमवार को सिविल सेवा परीक्षा 2021 के परिणामों की घोषणा की, जिसमें तीन महिलाओं – श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवाल और गामिनी सिंगला ने क्रमशः पहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया।

वह भारतीय प्रशासन सेवा (आईएएस) में शामिल होना चाहती है और देश में वंचितों के उत्थान के लिए काम करना चाहती है। श्रुति उत्तर प्रदेश के बिजनौर की रहने वाली हैं, लेकिन उन्होंने अपनी पढ़ाई दिल्ली में की। वह कक्षा 5 तक दिल्ली के कैम्ब्रिज प्राइमरी स्कूल गई और बाद में सरदार पटेल विद्यालय से अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी की।

उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और इतिहास में स्नातकोत्तर करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में दाखिला लिया। हालांकि, उन्होंने अपना मास्टर्स पूरा नहीं किया। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर के लिए पंजीकरण भी कराया था, जिसे अब उन्हें बीच में ही रोकना होगा।

Shruti-Sharma-UPSC-2021-Topper

दूसरे प्रयास में पाई सफलता

श्रुति जामिया मिलिया इस्लामिया आवासीय कोचिंग अकादमी में पिछले चार साल से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही थी। वह जामिया आरसीए से सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 23 उम्मीदवारों में शामिल हैं। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की और रैंक-1 हासिल किया।

श्रुति ने बताया सफलता का मंत्र

श्रुति के अनुसार वह परीक्षा की तैयारी के दौरान कोचिंग सेंटरों के नोट्स पर ज्यादा निर्भर नहीं थीं, बल्कि एनसीईआरटी की किताबों पर निर्भर थीं और नियमित रूप से अखबारों से अपने नोट्स बनाती थीं। उन्होंने कहा, “अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करना, अपने स्रोतों को सीमित करना, अपने नोट्स बनाना कुछ ऐसी चीजें हैं जो मेरे लिए कारगर रहीं,”

उन्होंने कहा कि यूपीएससी परीक्षा को पास करने के लिए लगातार रिवीजन करना और समय का सदुपयोग करना काफी महत्वपूर्ण है। अपनी तैयारी के दौरान, श्रुति ने पिछले वर्षों के प्रश्न पत्रों को भी देखा। उनके अनुसार उनके माता-पिता और दोस्तों के समर्थन ने उन्हें ताकत और समर्थन दिया।

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