शिक्षा

बिहार के स्कूलों में हैंगिंग लाइब्रेरी का कॉन्सेप्ट, अब शिक्षक और छात्र मिलकर पढ़ाई के साथ करेंगे मस्ती

डेस्क: बिहार के सरकारी स्कूलों के शिक्षक प्रतिदिन कुछ न कुछ नई तरकीब लगाकर बच्चों को पढ़ाई के प्रति आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में एक और नया प्रयास बिहार के बांका के एक सरकारी स्कूल में देखा गया जहां शिक्षकों ने स्कूल के छात्रों के साथ मिलकर एक हैंगिंग लाइब्रेरी बनाई। ताकि बच्चे मस्ती के साथ पढ़ाई करें।

बिहार का दूसरा हैंगिंग लाइब्रेरी बांका में

बिहार का यह दूसरा हैंगिंग लाइब्रेरी है जिसे बांका जिले के अमरपुर थाना क्षेत्र के फतेहपुर स्थित मध्य विद्यालय में बनाया गया है। इस हैंगिंग लाइब्रेरी को बनाने के लिए पीरामल फाउंडेशन की ओर से स्कूल प्रशासन को हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई गई। इससे पहले एक और हैंगिंग लाइब्रेरी बाराहाट के बुनियादी विद्यालय में बनाई गई थी।

Hanging Library in a school in Banka

बेकार वस्तुओं को रिसाइकल कर बनाया लाइब्रेरी

शिक्षकों और बच्चों द्वारा एक साथ मिलकर बनाई गई इस लाइब्रेरी की विशेषता यह है कि यह बेकार पड़ी हुई वस्तुओं को रिसाइकल कर बनाया गया है। साथ ही इस लाइब्रेरी में किताबों को रखने के लिए रेक अथवा लकड़ी के बने फर्नीचर का प्रयोग न करते हुए रस्सियों का सहारा लिया गया है। दरअसल दीवार में कील ठोक कर इनमें रसिया बांधकर इन्हीं रसिया से किताबों को लटका दिया गया है जिस वजह से इस लाइब्रेरी का नाम हैंगिंग लाइब्रेरी पड़ा।

Second Hanging Library of Bihar

रंगीन कागजों से की गयी सजावट

किताबों के अलावा रंगीन कागजों से तरह-तरह की आकृतियां बनाकर इस लाइब्रेरी की सजावट की गई है। इस हैंगिंग लाइब्रेरी में बच्चों के लिए जरूरी सभी प्रकार की किताबें को रखा गया है जिनकी मदद से बच्चे अलग-अलग चीजें सीख पाएंगे। पिरामल फाउंडेशन की आस्था गुप्ता के अनुसार इस तरह की लाइब्रेरी का उद्देश्य कम संसाधन में ही बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है।

हैंगिंग लाइब्रेरी में बच्चों की रुचि को ध्यान में रखते हुए ही किताबें रखी जाती हैं। अगर किसी बच्चे को कोई किताब पढ़ने के लिए अपने साथ घर ले जाना हो तो यह सुविधा भी इस लाइब्रेरी में उपलब्ध है। कुल मिलाकर कम लागत में बच्चों को मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा देने का यह एक अच्छा साधन है।

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