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नर्स मां को गर्व हो इसलिए बनना था डॉक्टर, अब राजधानी एक्सप्रेस पर मिथिला पेंटिंग्स बनाकर कमाती है लाखों

मेहंदी लगाने वाली ऐसे बनी वर्ल्ड फेमस आर्टिस्ट

डेस्क: मधुबनी चित्रकला या फिर कहें मिथिला पेंटिंग, बिहार की एक विख्यात चित्रकला शैली है जो प्रारंभ में रंगोली के रूप में देखी जाती थी। बाद में धीरे-धीरे इसका लाने कपड़ों दीवारों और कागज पर अपना स्थान बना लिया। अब यह कला तीन की बोगियों पर भी देखने मिलती है। बता दें कि यह पेंटिंग खासकर बिहार के मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है।

राजधानी की बोगियों पर बनाती है मिथिला पेंटिंग

आपने राजधानी एक्सप्रेस की बोगियों पर भी मिथिला पेंटिंग को जरूर देखा होगा। यह तस्वीरें केवल मिथिलांचल के उन्नत चित्रकला कौशल को ही नहीं बल्कि बिहार की एक बेटी की कामयाबी की कहानी को ही बयां करते हैं। 2017 से राजधानी एक्सप्रेस के रोगियों पर मिथिला पेंटिंग को स्थान दिया गया था। केवल राजधानी ही नहीं बल्कि बिहार के भी कई ट्रेनों की बोगियों में मिथिला पेंटिंग देखने मिलती है। बोगियों पर मिथिला पेंटिंग्स को इतनी की सुरती से उकेरने का श्रेय बिहार की बेटी सिन्नी सोश्या को जाता है।

Sinni Soshya Mithila art in Rajdhani Express

मात्र 23 वर्ष की उम्र में बनाई अलग पहचान

जब उन्होंने 2017 में यह काम करना शुरू किया, उस वक्त उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष थी। तीन की बोगियों पर मिथिला पेंटिंग्स को करते हुए सिन्नी का नाम फाइन आर्ट्स की दुनिया में आज एक जाना पहचाना नाम बन गया है। ऐसा करके न केवल उन्होंने नाम और शोहरत कमाई बल्कि 2 दर्जन से भी अधिक लड़कियों को सनी ने रोजगार भी दिया। केवल मिथिला पेंटिंग्स की मदद से ही वह हर महीने अपने कर्मचारियों में तीन लाख रुपए सैलरी बांटती है।

बनना चाहती थी डॉक्टर

आज उनके कुल 3 स्टूडियो भी है जिनमें से दो पटना में और एक बेगूसराय में है। उनके पेंटिंग्स की डिमांड देश की राजधानी से लेकर विदेशों तक है। हालांकि शुरू में वह एक कलाकार नहीं बल्कि डॉक्टर बनना चाहती थी क्योंकि उनकी मां एक नर्स थी। सिन्नी चाहती थी कि उनकी नर्स मां गर्व से कह सके कि उनकी बेटी एक डॉक्टर है। लेकिन आर्थिक तंगी होने के कारण उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह मेडिकल कॉलेज की फीस भर सकें।

Sinni Soshya Mithila art

लेकिन घरवालों ने किया  विरोध

जब सिन्नी सोश्या का डॉक्टर बनने का सपना टूटा तो वह बिल्कुल टूट चुकी थी। 2013 की बात है जब उनके एक मित्र ने उन्हें आर्ट्स कॉलेज ले जाना चाहा तब यह पहली बार था जब सनी ने कला एवं शिल्प महाविद्यालय में कदम रखा था और वही दिन एडमिशन का आखिरी दिन भी था। अंततः उन्होंने अपने मित्र के साथ आर्ट्स का कोर्स करने का फैसला लिया लेकिन घरवालों ने सिन्नी का खूब विरोध किया और कहने लगे कि इसमें कोई स्कोप नहीं है।

ताना मरने वाले अब तारीफ करते नहीं थकते

सिन्नी के घर वालों ने उन्हें बैंकिंग की तैयारी करने की सलाह दी लेकिन वह अपने फैसले पर अडिग रही। कॉलेज की 5000 की फीस के लिए सिन्नी ने दुल्हन को मेहंदी लगाने का काम शुरू किया जिस पर उन्हें लोगों ने ताना देना शुरू कर दिया कि आर्टिस्ट बनने गई थी और मेहंदी लगाने वाली बन गई। आखिरकार उन्होंने समाज की बोलती बंद कर दी और मिथिला पेंटिंग से दुनिया भर में अपनी एक अलग पहचान बनाई। जो लोग पहले सिन्नी को ताना मारते नहीं थकते थे, वही आज उनके तारीफों के पुल बांध रहे हैं।

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