29 साल बाद मोदी ने किया अपना वादा पूरा, रखी रामलला के मंदिर की नींव
डेस्कः आज यानी 5 अगस्त और इस दिन का स्वर्णिम इतिहास युग-युगान्तरों तक रामभक्तों को स्मरण रहेगा. आज के दिन का इंतजार पूरा देश अरसे से कर रहा था. आखिरकार रामलला के मंदिर की नींव पड़ ही गई और इसके साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देश से किया मंदिर निर्माण का वादा अब जल्द ही मूर्त रूप लेने जा रहा है.
वहीं, भगवान राम के चौदह वर्ष के वनवास के बाद उनकी वापसी के दौरान जिस तरह की साज-सज्जा का जिक्र रामचरितमानस व रामायण में इंगित है… आज उसी स्वरूप में अय़ोध्या नगरी दीप-बातियों व भगवा रंग में सराबोर नजर आई.
हालांकि भले ही संख्या की दृष्टि से उस तादाद में रामभक्तों की भीड़ वहां नहीं दिखी. बावजूद इसके देश के हर गली-मुहल्लों में देशवासियों ने अपने आराध्य प्रभु श्री राम को स्मरण करते हुए मंदिरों व नगर चौपालों पर दीप प्रज्ज्वलित कर मंदिर शिलान्यास उत्सव को धूमधाम से मनाया.
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे 29 साल बाद अयोध्या पहुंचे हैं. इससे पहले 1991 में पीएम मोदी अयोध्या आए थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी देश-दुनिया की यात्रा पर गए, लेकिन अयोध्या कभी नहीं आए. इसलिए भी प्रधानमंत्री का यह अयोध्या दौरा काफी अहम है.
अयोध्या में आज पीएम सबसे पहले हनुमानगढ़ी गए और उनका दर्शन किया. इसके बाद रामजन्मभूमि परिसर पहुंचकर भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए. पीएम मोदी मंदिर निर्माण के लिए शुभ मुहूर्त में शिलान्यास किया.
पीएम का पुराना बयान चर्चा में
वहीं, आज पीएम का एक पुरान बयान काफी चर्चा में है. दरअसल, अयोध्या में साल 1991 में मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि वे यहां वापस तभी आएंगे, जब राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा. बताया जा रहा है कि उस दौरान पीएम मोदी मुरली मनोहर के साथ अयोध्या पहुंचे थे.
साल 1990 में जब लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा शुरू की थी, तो उस रथ पर नरेंद्र मोदी भी सवार थे. अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन से पीएम मोदी का काफी पुराना नाता रहा है.
1990 मंदिर निर्माण समर्थन रथयात्रा में शामिल थे मोदी
इधर, लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए समर्थन जुटाने को सितंबर, 1990 को गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की थी, जिसे विभिन्न राज्यों से होते हुए अक्टूबर को अयोध्या पहुंचना था. दरअसल, आडवाणी वहां कारसेवा में शामिल होने वाले थे. लेकिन यह रथयात्रा अयोध्या तक नहीं पहुंच पाई.
अयोध्या पहुंचने से पहले ही बिहार में लालकृष्ण आडवाणी को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर 23 अक्टूबर को समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया था. उस वक्त आडवाणी के साथ राम मंदिर रथ यात्रा में नरेंद्र मोदी को समन्वय की जिम्मेदारी मिली थी.
तब नरेंद्र मोदी बीजेपी राष्ट्रीय चुनाव समिति के सदस्य हुआ करते थे. सोशल मीडिया पर 1991 की वह तस्वीर भी खूब वायरल हो रही है, जिसमें नरेंद्र मोदी, मुरली मनोहर जोशी के साथ दिख रहे हैं.
वहीं, अप्रैल 1991 में मोदी बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ अयोध्या पहुंचे थे. वह विवादित स्थल पर भी गए. बताया जा रहा है कि उस दौरान वहां मौजूद कुछ पत्रकारों को मुरली मनोहर जोशी ने बताया कि मोदी गुजरात से आए हैं.
इसी बातचीत के दौरान कुछ पत्रकारों ने मोदी से सवाल किया कि वह फिर अयोध्या कब आएंगे? तब तुरंत नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया था कि अब अयोध्या तब आऊंगा जब राम मंदिर का निर्माण शुरू होगा.
लेकिन उस वक्त तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि गुजरात के नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बन जायेंगे और स्वयं 29 साल बाद राम मंदिर की नींव रखेंगे. खैर, आज उनका कहा सच हो गया और आखिरकार देश में रामराज का आगाज हो चुका है.
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