बोकारो: चर्चित साहित्यक संस्था ‘साहित्यलोक’ की मासिक रचनागोष्ठी रविवार की शाम वरिष्ठ साहित्यकार विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’ के सेक्टर 8 स्थित आवास पर हुई। मैथिली महाकाव्य ‘ऊं महाभारत’ के रचयिता सुप्रसिद्ध साहित्यकार बुद्धिनाथ झा की अध्यक्षता व साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा के संचालन में आयोजित इस रचना गोष्ठी में सतीश चंद्र झा ने ‘महाप्रयाण’ व ‘आखिर’, अमीरी नाथ झा अमर ने मैथिली में ‘वरदान’, ‘देश हमर अछि सब सं सुन्दर, पावन ललित ललाम जतय छथि आयल सीता राम’ व हिन्दी कविता ‘गुरु आओ नमन करें’, नीलम झा ने हिन्दी कविता ‘मत ठहरना तू मुसाफिर’ व मैथिली कविता ‘अपनेक लेल’, डाॅ रणजीत कुमार झा ने हिन्दी में दोहे मात – पिता पूछे नहीं, पूछे सब कोई नार/पड़ी मार विदेश की, संस्कृति हुई बीमार।
भ्रष्ट भयी समाज सब , कहाँ आज सदाचार/कोई बिके पचास में , कोई बिके हजार’ तथा मैथिली गीत ‘मात-पिता सन, नहिं रे जगत में/छथि ओ हमर भगवान,
अमन कुमार झा ने पर्यावरण के प्रति मानवीय संवेदना को छूती मैथिली कहानी ‘आत्मीय मिलन’, विजय शंकर मल्लिक ने मैथिली में ‘कुहेस समाप्त भ सकैछ’, ‘अन्नपूर्णा’, भोजपुरी में ‘दूर राखी पाप के’ व अंग्रेजी में ‘इंज्वाय द बेस्ट’, अरुण पाठक ने मैथिली सद्भावना गीत ‘जाति धर्म के नाम पर नहि बांटू इंसान के’,
डाॅ संतोष कुमार झा ने कोलकाता से ऑनलाइन ‘धर्म आ कर्म’ व ‘चिट्ठी राम के’, गिरिजा नन्द झा ‘अर्धनारीश्वर’ ने दिल्ली से ऑनलाइन ‘परचट्ट’ शीर्षक रचना सुनाकर सबको प्रभावित किया। अध्यक्षीय काव्यपाठ करते हुए बुद्धिनाथ झा ने मैथिली में मां दुर्गा के नौ रूपों का सुंदर काव्यमय प्रस्तुति से सबकी सराहना पाई।
पठित रचनाओं पर समीक्षा टिप्पणी भी दी गयी। मिथिला सांस्कृतिक परिषद् के उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार ने कहा कि इस गोष्ठी में पढ़ी गईं सभी रचनाएं विशेष संदेश लिए सामाजिक व मानवीय संवेदनाओं पर केंद्रित थीं।
अध्यक्ष बुद्धिनाथ झा ने कहा कि रचनाकार को समय के अनुरुप रचना करनी चाहिए। उन्हें प्रसन्नता है कि साहित्यलोक से जुड़े रचनाकार इस दिशा में सजग हैं। उन्होंने साहित्यलोक के पूर्व महासचिव गिरिजा नंद झा ‘अर्धनारीश्वर’ के सद्यः प्रकाशित कविता संग्रह ‘सूरज का सच’ में प्रकाशित रचनाओं को बहुत ही उत्कृष्ट बताया।
साहित्यलोक परिवार ने कवि बुद्धिनाथ झा को पिछले दिनों हजारीबाग में त्रिवेणीकान्त ठाकुर साहित्य सम्मान से सम्मानित किए जाने पर हर्ष व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी। श्री बुद्धिनाथ झा ने त्रिवेणी सम्मान प्राप्त साहित्यकारों पर केंद्रित पुस्तक की प्रति सभी साहित्यकारों को भेंट की।
गोष्ठी के अंत में पिछले दिनों दिवंगत हुए साहित्यलोक के वरिष्ठ कवि-गीतकार विनय कुमार मिश्र व मैथिली साहित्यकार पंजानन मिश्र को श्रद्धांजलि दी गयी। सभी साहित्यकारों ने दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति हेतु ईश्वर से प्रार्थना की।
– अरुण पाठक