CM ममता के सलाहकार पर एक्शन की तैयारी में मोदी सरकार
डेस्क: केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) के लिए नए मुख्य सलाहकार अलापन बंधोपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है।
पीएम नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की बैठक से गायब रहने पर केंद्र ने अलापन को कारण बताओ नोटिस भेजा है, जिस पर उन्हें 3 दिन के भीतर जवाब देना होगा। अलापन के खिलाफ आपदा प्रबंधन एक्ट (Disaster Management Act) की धारा 51(b) भी लगाई गई है।
अलापन को कारण बताओ नोटिस
केंद्र ने अपनी चिट्ठी में लिखा- पीएम मोदी आपदा प्रभावित इलाकों का हवाई दौरा करने के बाद कलाईकुंडा एयरफोर्स स्टेशन (Kalaikunda Air Force Station) पहुंचे। इसके बाद उन्होंने यहां पर बंगाल की मुख्यमंत्री (CM), मुख्य सचिव के साथ बैठक करनी थी।
पीएम को मीटिंग रूम में राज्य सरकार के अधिकारियों के लिए 15 मिनट इंतजार करना पड़ा। जब मुख्य सचिव नहीं पहुंचे थे तो उन्हें अधिकारियों ने फोन लगाया और पूछा कि वो इस मीटिंग में शामिल होंगे या नहीं? इसके बाद मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री मीटिंग रूम में आए और तुरंत ही चले भी गए।
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इसे पीएम की रिव्यू मीटिंग के अनुपस्थित रहना ही माना जाएगा। पीएम नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी National Disaster Management Authority (NDMA) के चेयरमैन भी हैं।
अलापन बंधोपाध्याय की ये हरकत केंद्र द्वारा कानूनी तौर पर दिए गए निर्देशों को दरकिनार करना ही माना जाएगा। ऐसे में उन पर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 51(b) लगाई जाती है।
हमने अलापन से लिखित में ये जवाब मांगा है कि आपदा राहत एक्ट का उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ धारा 51(b) के तहत कार्रवाई क्यों न की जाए। उन्हें 3 दिन के भीतर कारण बताना होगा।
पीएम नरेंद्र मोदी के रिव्यू से पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद भी समीक्षा बैठकें कर रही थीं। उस वक्त मुख्य सलाहकार अलाबन बंधोपाध्याय (Alapan Bandyopadhyay) उनके साथ ही थे।
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क्या है आपदा प्रबंधन एक्ट की धारा 51
केंद्र और राज्य के किसी भी अधिकारी को या इन सरकारों द्वारा अधिकृत व्यक्ति के कामों में बिना उचित कारण के बाधा डालने पर एक्शन लिया जा सकता है।
इसके अलावा केंद्र, राज्य, राष्ट्रीय समिति, या राज्य की समिति द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन न करने पर भी एक्शन का प्रावधान है।
इस एक्ट के तहत एक वर्ष की जेल या जुर्माना हो सकता है। जेल और जुर्माना दोनों भी लागू किए जा सकते हैं।
अगर काम में बाधा से या फिर निर्देशों को न मानने से किसी की जान जाती है या नुकसान होता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति को 2 साल की सजा दी जा सकती है।