“हेलो! मैं रतन टाटा बोल रहा हूँ”, ऐसे मात्र एक फोन कॉल से बदली अदिति और चेतन की किस्मत
डेस्क: देश में मानों स्टार्टअप का दौर चल रहा है। कई स्टार्टअप ऐसे हैं जो फंडिंग के लिए काफी मशक्कत कर रहे हैं तो वहीं कई स्टार्टअप्स ऐसे भी हैं जिन्हे खुद रतन टाटा आर्थिक सहायता प्रदान कर रहे हैं। इन्ही में से एक स्टार्टअप का नाम है रेपो एनर्जी।
रेपो एनर्जी पुणे स्थित एक स्टार्टअप है जो अपने ऐप के माध्यम से डीजल की डोरस्टेप डिलीवरी प्रदान करता है। कंपनी का लक्ष्य अपने वितरण मॉडल को लोकप्रिय बनाकर देश की कुल ईंधन खपत को कम करना है।
बीते दिनों ही टाटा मोटर्स से निवेश प्राप्त करने के कुछ महीनों बाद ‘रेपो एनर्जी’ के सह-संस्थापक ने साझा किया कि कैसे उद्योगपति रतन टाटा के एक फोन कॉल ने कंपनी के भाग्य को बदल कर रख दिया
कंपनी के लिए चाहिए थी फंडिंग
रेपो एनर्जी के सह-संस्थापक अदिति भोसले वालुंज ने बताया कि जब उसने और उसके पति चेतन वालुंज ने कुछ साल पहले रेपो एनर्जी की शुरुआत की, तो उन्हें लगा कि उनकी फर्म के विकास के लिए उन्हें किसी ऐसे की आवश्यकता है जो उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान कर सकें। इसके लिए उन दोनों के मन में एक ही व्यक्ति का एक ही नाम आया और वह था- रतन टाटा।
जब अदिति ने सुझाव दिया कि वे रतन टाटा से मिलें, तो चेतन ने तुरंत कहा कि रतन टाटा उनके पड़ोसी नहीं है कि आप कह रहे हैं कि चलो उनसे मिलते हैं। हालांकि अदिति पीछे नहीं हटीं।
उन्होंने कहा, “सभी ने हमें बताया कि आप रतन टाटा से मिलनाअसंभव है। लेकिन उन दोनों ने हार नहीं मानी। अदिति ने बताया कि आखिरकार उन्हें मुंबई में रतन टाटा से मिलने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि उन्होंने एक 3D प्रस्तुति तैयार की थी कि कैसे रेपो एनर्जी ऊर्जा वितरण को बदलना चाहती है और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके किसी भी ऊर्जा/ईंधन को अंतिम मील तक पहुंचाना चाहती है।
दंपति ने रतन टाटा को हस्तलिखित पत्र भी लिखे और उन स्रोतों तक पहुंचे जो उन्हें उनसे जोड़ सकते थे। अंत में, मिस्टर टाटा के घर के बाहर 12 घंटे इंतजार करने के बाद, अदिति ने कहा कि उनके होटल लौटने के बाद रात के करीब 10 बजे उन्हें फोन आया।
रतन टाटा ने खुद किया फ़ोन
वह इस कॉल को रिसीव करने को अनिच्छुक थीं लेकिन जब उन्होंने जवाब दिया, तो दूसरी तरफ आवाज ने कहा ‘हाय! क्या मैं अदिति से बात कर सकता हूं?” भले ही वह नहीं जानती थी कि लाइन के दूसरे छोर पर कौन है, फिर भी उसने पूछा कि आप कौन हैं? तब सामने से आवाज आई “मैं रतन टाटा बोल रहा हूँ। मुझे आपका पत्र मिला। क्या हम मिल सकते हैं?”
अदिति ने बताया कि उस वक्त उसके रोंगटे खड़े हो गए थे, उनकी आँखों से आंसू बह रहे थे और उसके होठों पर मुस्कान थी। उन्होंने कहा, “अगले दिन हम 10:45 बजे उनके घर पहुंचे और अपनी प्रस्तुति के साथ लिविंग रूम में उनका इंतजार किया। और ठीक 11 बजे एक नीली शर्ट के साथ एक लंबा, गोरा व्यक्ति हमारी ओर चला आया।”
अदिति ने कहा कि बैठक के दौरान, श्री टाटा ने उनसे पूछा कि वह उनसे क्या उम्मीद करती हैं, जिस पर उन्होंने जवाब दिया, “सर, लोगों की सेवा करने और वैश्विक रूप से ऊर्जा वितरण को आसान बनाने में हमारी मदद करें। हमारा मार्गदर्शन करें।” इसके लिए रतन टाटा ने बस “ओके” कहकर जवाब दिया।
अदिति ने कहा, “हम उनके घर से बाहर निकले, जैसे हम मंदिर से बाहर निकल रहे हों। उसके बाद रेपो एनर्जी आज जहां हैं, उनकी वजह से है।” अदिति ने यह भी कहा कि “तीन घंटे की लंबी बैठक में उन्होंने हमारे विचारों को सुना, अपना अनुभव साझा किया और हमारा मार्गदर्शन किया”।