सदियों से नहीं रुकी रथयात्रा, जानें क्या होगा इसा बार
यात्रा निर्वाध बड़े पैमाने पर पिछले करीब 300 सालों से जारी है
डेस्क: महाप्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा प्राचीन काल से ओडिशा के पुरी धाम में आयोजित होती आ रही है. आज तक इस यात्रा में कभी कोई विघ्न नहीं आया. यह यात्रा निर्वाध बड़े पैमाने पर पिछले करीब 300 सालों से जारी है. ऐसे में यह पहला मौका आया है, भगवान जगन्नाथ, बलराम व सुभद्रा की रथयात्रा के आयोजन को लेकर संशय की स्थिति बन गयी है. अब सवाल यह है कि सदियों से बिना किसी बाधा के चली आ रही रथयात्रा क्या इस साल नहीं हो पायेगी.
क्या रथयात्रा पर सरकार पाबंदी लगा देगी या यह रथयात्रा बिना भक्तों के आयोजित होगी. पुरी मंदिर प्रबंधन, राज्य सरकार और रथयात्रा से जुड़े सभी लोग इसको लेकर संशय की स्थिति में हैं.
जानकारी के अनुसार 23 जून को रथयात्रा है. मंदिर में इसके पूर्व के सारे विधि विधान किये जा रहे हैं. अक्षय तृतीया से ही इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है. ऐसे में सभी तीन मई का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जब केंद्र सरकार की ओर से घोषित लॉकडाउन की अवधि खत्म होगी.
हालांकि राज्य सरकार के निर्णय का भी इंतजार है. हालांकि रथ बनाने का काम शुरू हो चुका है. फिरहाल मंदिर भक्तों के लिए बंद है. मंदिर में मुख्य पुरोहित व उनके कुछ सहयोगी दैनिक पूजा पाठ संपन्न कर रहे हैं.
इसको लेकर पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के साथ मंदिर के पंडों व प्रबंधन कमेटी के सदस्यों ने बैठक की. इस दौरान रथयात्रा आयोजन को लेकर विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई. हालांकि कोई अंतिम फैसला नहीं हो सका.
आइये हम विभिन्न विकल्पों पर गौर करते हैं :
क्या रथयात्रा को रद्द कर दिया जायेगा
अगर कोरोना महामारी इसी तरह जारी रही तो सरकारें पुरी रथयात्रा को रद्द करने का फैसला भी ले सकती है, लेकिन यह आस्थावान लोगों के लिए धक्का के जैसा होगा. हालांकि देशहित में यह फैसला भी संभव लगता है.
मंदिर से जुड़े बुद्धिजीवियों ने अपनी सहमति इस पर जताते हुए कहा कि भक्तों की सुरक्षा ही भगवान चाहते हैं. ऐसे में रथयात्रा को सीमित या निरस्त किया जायेगा तो भी मान्य होगा.
घेराबंदी कर निकाली जा सकती है रथयात्रा
जानकारों की मानें तो अगर सबकी सहमति बन गयी तो पुरी की सीमा को सील करके रथ यात्रा कुछ पुरोहितों की उपस्थिति में निकाली जा सकती है. इसका हमेशा की तरह टीवी चैनलों पर लाइव प्रसारण किया जायेगा, ताकि श्रद्धालु घर बैठे देख सकें और इससे जुड़ सकें. ऐसा होने की प्रबल संभावना है. अधिकतर लोगों ने इस पर सहमति जतायी है.
मंदिर परिसर में ही रथयात्रा निकालने की योजना
अगर स्थिति काफी विपरीत रही. श्रद्धालुओं पर नियंत्रण कर पाना संभव नहीं लगा तो अंत में मंदिर के अंदर ही विधिवत छोटे स्तर पर रथयात्रा का आयोजन किया जा सकता है. इसमें पुरोहितों के अलावा के भी उपस्थित रहने की अनुमति नहीं होगी.