तीन दोस्तों ने ऐसे उठाई बिहार को बदलने की जिम्मेदारी, अब कमा रहे 3 करोड़
![Three friends made e-ambulance in Bihar](https://akjnews.com/wp-content/uploads/2023/02/Three-friends-made-e-ambulance-in-Bihar-780x419.jpg)
![Three friends made e-ambulance in Bihar](https://akjnews.com/wp-content/uploads/2023/02/Three-friends-made-e-ambulance-in-Bihar-780x419.jpg)
डेस्क: अक्सर कॉलेज में पढ़ने वाली युवा या तो किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी कर मोटी रकम कमाने का सपना देखते हैं, या फिर अपने राज्य अथवा देश के लिए कुछ ऐसा करने का सोचते हैं जिससे उनकी एक अलग पहचान बने। ऐसी ही एक कहानी है बिहार के 3 इंजीनियर दोस्तों जिन्होंने कॉलेज के दिनों में मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने का सपना देखा था। लेकिन अब उन्होंने बिहार में ऑटोमोबाइल का एक बड़ा एम्पायर खड़ा कर दिया है।
यह कहानी बेगूसराय के आलोक रंजन और राजगीर के कुणाल सिंह की है जिनकी दोस्ती राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी में उदयपुर के रहने वाले भरत पालीवाल से हुई। तीनों ही ऑटोमोबाइल ब्रांच से बीटेक की पढ़ाई कर रहे थे और पढ़ाई के दौरान ही तीनों की गहरी दोस्ती हो गई। इस दौरान तीनों ने किसी मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने का सपना देखा था।
तीनों को मिली मनचाही नौकरी
2015 में ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद ही तीनों की नौकरी भी लग गई। भरत पालीवाल को टीवीएस ऑटोमोबाइल कंपनी में मार्केटिंग एंड सेल्स डिपार्टमेंट के सीनियर एग्जीक्यूटिव की नौकरी मिली, वहीं आलोक रंजन को दिल्ली में हीरो मोटर्स में क्वालिटी इंजीनियर का काम मिला। कुणाल भी ऑटोमोबाइल पार्ट्स बनाने वाली कंपनी जेपीएम में काम करने लगा। कुल मिलाकर तीनों दोस्तों को उनकी मनचाही नौकरी मिल गई।
मनचाही नौकरी से भी नहीं मिली संतुष्टि
मनचाही नौकरी पाकर भी न जाने क्यों तीनों दोस्त खुश नहीं थे। अतः तीनों ही एकसाथ मिलकर कुछ बड़ा करने की प्लानिंग करने लगे। आगे चलकर इन तीनों ने बिहार को बदलने का बीड़ा अपने कंधों पर उठाया और खुद की ऑटोमोबाइल कंपनी बनाने की ठानी। इसके लिए एक-एक करके तीनों ने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी और बिहार आकर अपनी खुद की कंपनी के लिए तैयारी में जुट गए।
बचत और उधार लेकर इक्कठा किए 15 लाख रुपए
तीनों दोस्तों के लिए अपनी खुद की ऑटोमोबाइल कंपनी तैयार करने में सबसे बड़ी बाधा पैसा थी। व्यापार के लिए पैसे इकट्ठे करने में ही 6 माह से अधिक समय लग गए। तीनों दोस्तों ने एक साथ मिलकर 15 लाख रुपए की व्यवस्था की और देखते ही देखते तीनों दोस्त खुद की ऑटोमोबाइल कंपनी के मालिक बन गए। भरत और कुणाल कंपनी की मार्केटिंग का काम देखते हैं वही आलोक कंपनी की सारी जिम्मेदारी संभालते हैं।
बिहार के हालत को देखकर बनाया ई एंबुलेंस
बिहार गांव में संसाधन की कमी को देखते हुए तीनों दोस्तों ने सोचा कि मरीजों की सुविधा के लिए एंबुलेंस बनाया जाना चाहिए। सड़कों की समस्या तथा ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए तीनों दोस्तों ने एंबुलेंस का मॉडल तैयार किया जो किसी भी तरह के रास्ते पर आसानी से चल सके। साथ ही मरीजों के लिए इमरजेंसी की सभी व्यवस्था इस एंबुलेंस में रहे। इसमें मरीज के लेटने से लेकर उनके परिवार वालों के बैठने तक की सुविधा है।
सब सुविधाओं से लैश है ई एंबुलेंस
पूरी तरह से इको फ्रेंडली एंबुलेंस में मरीज के साथ 3 एटेंडेंट्स के बैठने की सीट दी गई है। साथ ही स्ट्रेचर के लिए भी एक बड़ा सा प्लेटफार्म दिया गया है जो पूरी तरह से स्लाइडिंग सिस्टम पर काम करती है। इस वजह से मरीजों को इस पर ले जाना और रखना काफी आसान हो जाता है। इसमें ऑक्सीजन के साथ-साथ मेडिकल इमरजेंसी के सभी उपकरणों के लिए अलग-अलग बॉक्स बनाए गए हैं। इसकी खास बात यह है कि इसमें बिना किसी झटके के मरीजों को अस्पताल ले जाया जा सकेगा।
सालाना 3 करोड़ का टर्नओवर
बिहार के साथ-साथ यूपी में भी इस तरह के एंबुलेंस की डिमांड काफी बढ़ गई है। जिस वजह से अब तक तीनों दोस्त यूपी और बिहार में 1000 से अधिक की एंबुलेंस की डिलीवरी कर चुके हैं। सभी प्रकार की सुविधाओं से लैस होने के बाद भी यह एंबुलेंस कम खर्चीला और सुविधाजनक है। जहां बड़े एंबुलेंस नहीं पहुंच पाते वहां अभी एंबुलेंस आसानी से पहुंच जा रही है इस वजह से इसकी लोकप्रियता भी काफी बढ़ गई है। इसके साथ ही तीनों की कंपनी का सालाना टर्नओवर की तीन करोड़ रुपए हो गया है।