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कक्षा 6 में पीसी मुस्तफा हुआ था फेल, लेकिन आज है 100 करोड़ की कंपनी का मालिक

 

डेस्क: कई ऐसी कंपनियां है जिनकी शुरुआत काफी छोटे स्तर से हुई। लेकिन आगे चलकर यह छोटी कंपनियां सफल होकर करोड़ों की कंपनी बन गई। आज हम एक ऐसे व्यक्ति के बारे में जानेंगे जो कक्षा 6 में फेल हुआ लेकिन अपनी कड़ी मेहनत से आज 1,000 करोड़ की कंपनी का मालिक बन गया। उस व्यक्ति का नाम है- पीसी मुस्तफा।

पीसी मुस्तफा की प्रेरणादायक कहानी आपको भी आत्मविश्वास से भर देगी। वह एक भारतीय उद्यमी हैं जो “आईडी फ्रेश” नाम की कंपनी के CEO और सह-संस्थापक हैं। उनके द्वारा निर्मित फूड कंपनी आज न केवल भारत में बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में भी प्रचलित हो गई है। इस कंपनी में बने खाद्य उत्पादों का निर्यात ना केवल भारत में बल्कि दुबई, अमेरिका और अबू धाबी जैसे कई अन्य देशों में भी होता है।

चुनौतियों से भरा था पीसी मुस्तफा का प्रारंभिक जीवन

दक्षिण भारत के केरल के वायनाड जिले के चेन्नालोड गांव के एक गरीब परिवार में जन्मे पीसी मुस्तफा के पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे। उनकी मां भी एक अशिक्षित महिला थी। पूरे गांव में केवल एक ही स्कूल था जहां गांव के बच्चे पढ़ने जाते थे। उनके पिता का सपना था कि उनका बेटा पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बने। लेकिन पारिवारिक आय में सुधार के लिए केवल 10 साल की उम्र में ही मुस्तफा को कुली की नौकरी करनी पड़ी।

कक्षा 6 में मुस्तफा हुए थे फेल

स्कूल जाने के लिए मुस्तफा को मीलों पैदल चलना पड़ता था। गणित में अच्छी पकड़ के साथ वह एक औसत छात्र थे। कक्षा 6 में एक बार फेल हो जाने की वजह से पढ़ाई में उनकी रुचि बिल्कुल खत्म हो गई। अंत में उन्होंने पढ़ाई लिखाई छोड़ कर पिता के साथ दिहाड़ी मजदूरी करने का फैसला लिया। लेकिन पिता के समझाने के कारण वह वापस स्कूल गए।

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एनआईटी कालीकट से किया कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई

कक्षा 7 व 10 में उन्होंने टॉप किया। आगे की पढ़ाई के लिए उनके पिता के पास पैसे नहीं थे। कोझीकोड के फारुख कॉलेज द्वारा उन्हें छात्रावास में मुफ्त भोजन और मुफ्त ठहरने की सुविधा दी गई। राज्य में इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा में मुस्तफा ने 63वां स्थान हासिल किया था। इतने अच्छे प्रदर्शन के कारण उन्हें रीजनल इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिला। आगे चलकर उन्होंने एनआईटी कालीकट से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की।

कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ कर चुके हैं काम

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुस्तफा ने मात्र ₹15000 प्रति माह के वेतन पर मोटोरोला कंपनी में काम किया। बाद में उन्होंने मैनहैटन एसोसिएट्स के साथ भी कुछ समय के लिए काम किया था। इसके बाद ₹1,00,000 के वेतन के साथ वह दुबई के सिटी बैंक में काम करने लगे। इसके अलावा भी उन्होंने यूरोप में कई कंपनियों के साथ काम किया था। 2003 में मुस्तफा बेंगलुरु वापस लौट आए।

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बिजनेस करने का मन बनाकर किया एमबीए

कई वर्षों तक अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ काम करने के बाद उनका मन बिजनेस करने का हुआ। जिसके लिए वह एमबीए करने के लिए आई आई एम बेंगलुरु में भर्ती हुए। 2007 में एमबीए की डिग्री मिलने के बाद उन्होंने अपने चचेरे भाइयों के साथ ₹25,000 का निवेश करके “आईडी फ्रेश” नाम से एक कंपनी की शुरुआत की। यह कंपनी मुख्य रूप से इडली और डोसा के बैटर का निर्माण करता था।

शून्य से बनाया 100 करोड़ की कंपनी

शुरुआत में उनकी बिक्री केवल 100 पैकेट प्रतिदिन होती थी। लेकिन आगे चलकर पीसी मुस्तफा द्वारा 40 लाख रुपए का निवेश करने के बाद प्रतिदिन उनकी कंपनी 80,000 किलोग्राम बैटर का उत्पादन करने लगी। अब उनके कंपनी की कुल लागत 110 करोड़ रुपए हो गई। आगे चलकर यह आंकड़ा और भी ऊपर पहुंच गया।

अजीम प्रेमजी ने भी किया है निवेश

आज “आईडी फ्रेश” ने भारत के 2000 से भी अधिक युवाओं को नौकरी दिया है। आज यह भारत के अलावा कई अन्य देशों में भी हेल्दी फूड आइटम मुहैया करवा रहे हैं। मार्च 2018 में भारतीय उद्योगपति अजीम प्रेमजी ने भी “आईडी फ्रेश” कंपनी में 25 मिलियन डॉलर का निवेश किया था।

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