“न लौटूं तो गर्व से सिर ऊंचा रखना” कहकर अकेले ही 17 दुश्मनों से भीड़ गए थे अमर शहीद आबिद खान
डेस्क: 1999 के भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में भारतीय सेना ने अपना अद्भुत पराक्रम दिखाया था। इस युद्ध में कई जवानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए देश के लिए अपनी जान तक हंसते-हंसते कुर्बान कर दिया था। ऐसे ही एक जवान थे यूपी के हरदोई जिले के पाली कस्बे के काजीसराय निवासी गफ्फार खान और नत्थन बेगम के सबसे बड़े बेटे आबिद खान।
यह भी पढ़ें: केवल ₹500 से बनाई अरबों की संपत्ति, इस गलती की वजह से आज जेब में फूटी कौड़ी भी नहीं, जानिए बीआर शेट्टी की कहानी
दो गुजराती भाइयों का ‘वरदान’, अब मिनटों में पीने योग्य हो जाएगा दूषित पानी
1995 में सेना मेडल से किया गया सम्मानित
उनका जन्म 6 मई 1972 को हुआ था। शुरुआत से ही वह सेना में भर्ती होना चाहते थे। उनका यह सपना 5 फरवरी 1988 को पूरा हुआ जब उन्हें सेना में भर्ती मिली। एक बार वह अकेले ही आतंकियों के बीच फंस गए थे लेकिन अपनी सूझबूझ और बहादुरी से वह उनसे बचकर सकुशल चौकी पर पहुंच गए। इस साहसिक कारनामे के लिए आबिद को 1995 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया था।
यह भी पढ़ें: IIT बॉम्बे के पूर्व छात्रों ने बनाई ऐसी मशीन, किसानों को मिलेगी काफी मदद
Social Media के अधिक उपयोग से लड़कियों में बढ़ रही यह बीमारियां, लड़के दूर रहें
कारगिल युद्ध में मिली टाइगर हिल की जिम्मेदारी
1999 में हुआ अपनी छुट्टियों पर घर आए हुए तभी कारगिल में युद्ध शुरू हो गया और हेड क्वार्टर से बुलावा आ गया। इस वजह से उन्हें अपनी छुट्टियों को अधूरा छोड़ कर युद्ध का हिस्सा बनने के लिए जाना पड़ा। आबिद को उनके पलटन के साथ टाइगर हिल पर जीत हासिल करने के लिए भेजा गया था। इसके लिए उनकी पलटन 30 जून को रवाना हुई और टाइगर हिल पर ढाल बनकर खड़ी हो गई।
यह भी पढ़ें: साउथ फिल्म इंडस्ट्री में सबसे अधिक फीस लेने वाले अभिनेता, रजनीकांत की कमाई जानकर चौक जायेंगे
पेट में था बच्चा फिर भी नहीं मानी हार, इन परिस्थितयों में बनीं प्राइमरी टीचर से कमिश्नर
अकेले ही पाकिस्तानी घुसपैठियों से भिड़े
शुरू से ही वह देश के लिए कुछ कर गुजरने का सपना देखते थे जिसे उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान पूरा कर दिखाया। अपने साथियों से “न लौटूं तो गर्व से सिर ऊंचा रखना” कहकर वह पाकिस्तानी सेना से भीड़ गये। भारत और पाकिस्तान के सैनिक एक दूसरे पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे थे। इसी दौरान आबिद के एक पैर में गोली लग गई। इसके बावजूद लांस नायक आबिद खान ने 17 पाकिस्तानी घुसपैठियों को एक के बाद एक करके अपनी राइफल से ढेर कर दिया। ऐसा कर उन्होंने अपने शौर्य का परिचय विश्व को दे दिया। बाद में उनके गर्दन में गोली लग जाने की वजह से इसी युद्ध के दौरान वह शहीद हो गए।