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सर से उठ गया पिता का साया, मां ने बकरी चराकर पढ़ाया, बेटे ने UPSC में लहराया परचम

डेस्क: देश के सबसे कठिन परीक्षा में से एक यूपीएससी को पास करना ऐसे ही बहुत कठिन होता है। लेकिन इस परीक्षा पास करना और भी कठिन तक हो जाता है जब आपके कंधों पर है घर की जिम्मेदारी भी हो और आपको पढ़ाई भी करना हो। ऐसी ही कहानी है यूपीएससी की परीक्षा में 448 रैंक पाने वाले विशाल की जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से अपने माता-पिता का सपना साकार किया।

बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले विशाल एक बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं। 2008 में पिता का साया सर से उठ जाने के बाद घर खर्च निकालने के लिए उन्हें मजदूरी तक करनी पड़ी लेकिन उन्होंने हार नहीं माना। यह उनके मेहनत का ही नतीजा था कि सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने देश भर में 484वां रैंक लाकर अपना परचम पूरे देश में लहरा दिया। सब कुछ उन्होंने तमाम सुख-सुविधाओं से दूर रहते हुए हासिल किया।

माता-पिता के साथ अध्यापक को दिया सफलता का श्रेय

एक संघर्ष भरा जीवन जीते हुए भी विशाल ने कभी हार नहीं मानी। पिता के गुजर जाने के बाद उनकी मां का भी उन्हें पूरा सहयोग मिला। विशाल अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने अध्यापक गौरी शंकर प्रसाद को भी देते हैं। वह बताते हैं कि कैसे उनकी मुश्किल हालातों में भी उनके अध्यापक ने उन्हें सिविल सेवा की परीक्षा देने के लिए प्रोत्साहित किया।

Vishal UPSC Rank 484 success story

जब विशाल आर्थिक तंगी से लड़ रहे थे तब उनके अध्यापक गौरी शंकर ही थे जिन्होंने उनके पढ़ाई की फीस भरी। साथ ही उन्होंने ही विशाल को नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने के लिए पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी मां ने भी कभी इस बात का एहसास विशाल को नहीं होने दिया कि उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे। सभी का सहयोग पाकर ही विशाल आज इस मुकाम पर पहुंचा है।

पिता के देहांत के बाद मां ने उठाई घर की जिम्मेदारी

विशाल के पिता मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करते थे। लेकिन उनके देहांत के बाद विशाल की मां ने परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। उन्होंने बकरी और भैंस पालकर अपने परिवार का भरण पोषण किया। यही काम करके उन्होंने विशाल के पढ़ाई के लिए पैसे इकट्ठे किए और उसे खूब पढ़ाया। नतीजतन आज विशाल देशभर के युवाओं के लिए एक मिसाल बनकर उभरा है।

विशाल बताते हैं कि उनके पिता कहा करते थे कि मेरा बेटा पढ़ लिख कर एक बड़ा आदमी बनेगा। आज अपने पिता के इसी सपने को विशाल ने सिविल सेवा की परीक्षा में 484वां रैंक लाकर सच कर दिखाया है। साल 2011 में मैट्रिक के टॉपर रह चुके विशाल ने 2013 में जेईई एडवांस की परीक्षा पास कर आईआईटी कानपुर में दाखिला पाया और 2017 में यहां से पास आउट हुए।

Vishal UPSC Rank 484

अध्यापक गौरी शंकर ने किया प्रोत्साहित

पढ़ाई पूरी करने के बाद वह रिलायंस कंपनी में नौकरी करने लगे। यही वह समय था जब उनके अध्यापक गौरी शंकर प्रसाद ने उन्हें नौकरी छोड़कर सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी करने का सुझाव दिया। इस दौरान उन्होंने आर्थिक रूप से भी विशाल की काफी मदद की। उनके अध्यापक गौरी शंकर बताते हैं कि विशाल शुरू से ही पढ़ने में काफी होशियार था। लेकिन 2008 में उसके पिता की मृत्यु उसके जीवन की टर्निंग प्वाइंट साबित हुई।

इतनी मुश्किल हालातों में भी हार न मानकर विशाल ने खुद तो सफलता प्राप्त किया ही है। साथ ही वह लाखों ऐसे युवाओं के लिए एक रोल मॉडल बन गए हैं जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं अथवा जिनके ऊपर से पिता का साया उठ चुका है। उन्होंने सही मायनों में यह साबित कर दिया है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और यदि तबीयत से पत्थर उछाला जाए तो आसमान में भी सुराख किया जा सकता है।

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