डेस्क: भारत में कोरोना मरीजों के बीच म्यूकर माइकोसिस अर्थात ब्लैक फंगस का खतरा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। देश के कई इलाकों में (yellow fungus Aspergillosis) ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं।
ऐसे में कोरोना से संक्रमित मरीजों को सावधान रहने की आवश्यकता है। ब्लैक फंगस का डर सभी के मन से भी कमा भी नहीं था की एक और फंगल इनफेक्शन (yellow fungus Aspergillosis) ने दस्तक दे दिया। एक नई तरह के फंगल इन्फेक्शन ने कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के लिए परेशानी बढ़ा दी।
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Aspergillosis है नाम
इस नए फंगल इन्फेक्शन का नाम एस्परजिलोसिस बताया जा रहा है। कोरोना से रिकवर मरीजों में यह संक्रमण देखने को मिल रहा है। ब्लैक फंगस के साथ-साथ अब एस्परजिलोसिस के भी मामले दिखने को मिल रहे हैं।
गुजरात के वडोदरा में दो सरकारी अस्पतालों में हफ्ते में एस्परजिलोसिस के लगभग 8 मरीजों को भर्ती करवाया गया। विशेषज्ञों की मानें तो एस्परजिलोसिस खासकर कम्युनिटी वाले लोगों में देखने को मिलता है।
कोविड से रिकवर हुए मरीजों को खतरा
फिलहाल जो मरीज कोविड से रिकवर हो चुके हैं, उनमें ही एस्परजिलोसिस (yellow fungus Aspergillosis) फंगल इंफेक्शन देखने को मिल रहा है। हालांकि बताया जा रहा है कि एस्परजिलोसिस ब्लैक फंगस जितना खतरनाक नहीं है।
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फिर भी कमजोर इम्यूनिटी वालों को इससे खतरा हो सकता है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। आमतौर पर यह फंगल इन्फेक्शन भी फंगस की वजह से ही होता है।
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स्टेरॉयड के प्रयोग से बढ़ रहा इन्फेक्शन
अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि स्टेरॉयड के इस्तेमाल से लोगों में फंगल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इसी के साथ डायबिटीज के मरीजों में भी इसका (yellow fungus Aspergillosis) अधिक खतरा हो सकता है।
डायबिटीज के मरीजों पर इसका अधिक खतरा होने का एक कारण यह भी है कि फन ग्लूकोस पर पलता है। एस्परजिलोसिस (yellow fungus Aspergillosis) को यलो फंगस के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इसे रंग के आधार पर देना गलत होगा क्योंकि कई रंगों में देखने को मिलता है।
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