राम मंदिर पर बोले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, अपने फैसले पर है मुझे गर्व
डेस्कः उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व राजस्थान के राज्यपाल रहे कल्याण सिंह का स्वास्थ्य अब ठीक नहीं रहता और यहां तक कि उन्हें पुरानी बातें भी याद नहीं रही, बावजूद इसके राम मंदिर का जिक्र होते ही वे तरोताजा हो जाते हैं. यही नहीं 6 दिसंबर, 1992 के हर पल की घटना को सुनाने लगते हैं. उनकी बातों को सुन मानों ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे कल की ही बात हो. कारसेवकों के अयोध्या पहुंचने पर अयोध्या के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा भेजे गए पत्र की पूरी इबारत सुनाते हैं और अपने द्वारा लिखित आदेश का एक-एक शब्द उन्हें आज भी याद है.
समर्पण को हर बलिदान छोटा
आज जब अयोध्या में राम मंदिर का सपना हकीकत में तब्दील होने के साथ ही मंदिर निर्माण को भूमिपूजन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है तो ऐसे में मंदिर निमार्ण से संबंधित समाचार प्राप्त कर वे आनंदित हो जाते हैं. वहीं, सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि राम मंदिर निर्माण ही उनकी जीवन की आकांक्षा है, जो पूरी हो रही है. मुझे अपने 6 दिसंबर, 1992 के फैसले पर गर्व है. सरकार गिरने का कोई मलाल न तो मुझे तब था और न ही आज है. वैसे भी किसी के प्रति श्रद्धा और समर्पण हो तो उसके लिए कोई भी बलिदान छोटा होता है. अगर गोली चलवा देता तो जरूर मलाल होता.
राम के लिए गोली खाने वाले भक्तों का नाम अमर होगा
आगे उन्होंने कहा कि श्रीराम देश के करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र हैं. मैं भी उन्हीं करोड़ों लोगों में से एक हूं. मेरे दिल की आकांक्षा थी कि भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, जो अब साकार रूप लेने जा रहा है. सच कहूं तो अब मैं बड़ी शांति से मृत्यु का वरण कर सकता हूं. आगे उन्होंने कहा कि जब भी मंदिर का इतिहास लिखा जाएगा, तब देशव्यापी आंदोलन, आंदोलन चलाने वालों और गोली खाने वाले रामभक्तों का नाम भी अमर होगा.
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मंदिर के जिक्र से पुलकित हो जाते हैं कल्याण
आखिर में उन्होंने कहा कि आज भी उन्हें अपने फैसले पर गर्व है, क्योंकि उन्होंने लाखों रामभक्तों की जान बचाई थी. मेरे माथे पर एक भी रामभक्त की हत्या का कलंक नहीं है. इतिहासकार यह भी लिखेंगे कि राम मंदिर निर्माण की भूमिका 6 दिसंबर, 1992 को ही बन गई थी. मुझे लगता है कि ढांचा न गिरता तो न्यायालय से मंदिर को जमीन देने का निर्णय भी शायद न होता. वैसे भी किसी के प्रति श्रद्धा और समर्पण हो तो उसके लिए कोई भी बलिदान छोटा होता है.
आत्मनिर्भर भारत का आधार बनेगा मंदिर
खैर, राम मंदिर ने देश की एकता को बल दिया है. राम मंदिर के साथ राष्ट्र निर्माण भी शुरू हो जाएगा. यह मंदिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के अभियान का भी आधार बनेगा. देशवासियों में विश्वास पैदा होगा और अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.