खालिस्तानियों के मोबाइल फोन से हुआ बड़ा खुलासा, लाल किले में हिंसा का सामने आया सच
सोहिनी बिस्वास, डेस्क: 26 जनवरी के दिन लाल किले में हुए आन्दोलन का एक नया सच सामने आया है। जांच से पता चला है कि लाल किले पर झंडा फहराने की साजिश पहले से ही रची गई थी। खालिस्तानी आतंकियों के मोबाइल से एक बड़ा खुलासा हुआ है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने सितंबर 2020 में बब्बर खालसा इंटरनेशनल के दो आतंकवादियों भूपेंद्र सिंह और कुलवंत सिंह को हिरासत में लिया था। उसके बाद, स्पेशल सेल ने UAPA के तहत पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दायर की।
सूत्रों के मुताबिक, दोनों आतंकवादी कनाडा, बेल्जियम और पाकिस्तान में बैठे अपने नियंत्रकों के साथ बातचीत में थे। वे फोन पर बातचीत करते समय या खुद के बीच लगातार कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे। उनके शब्दों में, हथियारों को चिकित्सा कहा जाता था। दिल्ली पुलिस ने उनके मोबाइल की जांच की तो 1 लाख से ज्यादा आपत्तिजनक पेज और तस्वीरें मिलीं। उनमें देश विरोधी बातें लिखी गई थीं। उनमें भिंडरावाले के पर्चे भी शामिल थे।
आतंकवादियों से दिल्ली पुलिस ने एक पृष्ठ की खोज की जिसमें कहा गया है कि 3 सितंबर, 2020 को इन लोगों ने पंजाब के रायकोट में तहसील के सरकारी भवन में खालिस्तानी झंडा फहराया था। कई वीडियो भी तैयार किए गए और कनाडा, बेल्जियम और पाकिस्तान में अपने मालिकों को भेजे गए थे।
लाल किले में ध्वजारोहण पहले से ही नियोजित था
दो खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ की एक चार्जशीट में यह भी खुलासा हुआ है कि अगर उन्हें आगामी दिनों में मौका मिलता है, तो वे लाल किले पर इसी तरह झंडा फहराएंगे, जैसा कि उन्होंने रायकोट में किया था। ये लोग सिख फॉर जस्टिस और पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) जैसे समूहों के संबंध में भी थे।
ये दोनों आतंकवादी सितंबर 2020 में दिल्ली में हिंसा पैदा करने के लिए पहुंचे और उन्हें पुलिस ने हिरासत में ले लिया। दोनों का पंजाब में भी परीक्षण चल रहा था क्योंकि उन पर यूएपीए अधिनियम लागू है। जैसा की इस चार्जशीट ने अभी तक दिल्ली सरकार के किसी भी प्रतिक्रिया की मान्यता प्राप्त नहीं किया, इसलिए अदालत ने अभी तक इस पर ध्यान नहीं दिया।