चक्रवात से अब तक 40.000 लोगों की हुई मौत, 50 सालों के दौरान भारत में आये कुल 117 चक्रवात
डेस्क: भारत में 1970-2019 के 50 सालों के दौरान 117 चक्रवात आये और 40,000 से अधिक लोगों की जान गयी । अति प्रतिकूल मौसम संबंधी घटनाओं पर एक अध्ययन में यह जानकारी दी गयी है। इस अध्ययन के अनुसार उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की वजह से होने वाली मृत्युदर में पिछले दस सालों में काफी कमी आयी है।
अध्ययन के मुताबिक इन 50 वर्षों में देश में अति प्रतिकूल मौसम संबंधी कुल 7,063 घटनाओं में 1,41,308 लोगों की जान चली गयी जिनमें से 40,358 लोगों (यानी 28 फीसद) ने चक्रवात की वजह से और 65,130 लोगों (46 फीसद से थोड़ा अधिक) ने बाढ़ के कारण अपनी जान गंवायी।
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यह शोधपत्र इस साल के प्रारंभ में प्रकाशित हुआ जिसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन और वैज्ञानिकों कमलजीत राय, एस एस राय, आर के गिरि, ए पी दिमरी ने मिलकर तैयार किया है। कमलजीत राय इस शोधपत्र के मुख्य लेखक हैं। इसी माह के मध्य में पश्चिमी तट ने चक्रवात ताउते का प्रकोप झेला।
ताउटे अति भयंकर चक्रवाती तूफान के रूप में गुजरात तट से टकराया और उसने कई राज्यों में तबाही मचायी, और करीब 50 लोगों की जान चली गयी। फिलहाल देश का पूर्वी तट पर अति भयंकर चक्रवात तूफान ‘यास’ आया। वह ओड़िशा और पश्चिमी बंगाल के समुद्र तटीय क्षेत्रों में तबाही मचाकर देश में आगे चला गया।
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अध्ययन में कहा गया है कि चक्रवात की वजह से होने वाली मौतों में पिछले दो दशक में बहुत कमी आयी है। हाल के वर्षों में भारतीय मौसम विज्ञान विज्ञान की पूर्वानुमान क्षमता में काफी सुधार देखा गया है। अध्ययन कहता है कि 1971 में सितंबर के आखिर सप्ताह से लेकर नवंबर के पहले सप्ताह तक बंगाल में बंगाल की खाड़ी में महज करीब छह सप्ताह के अंदर चार उष्कटिबंधीय तूफान आये ।
उनमें सबसे विध्वंसकारी तूफान 30 अक्टूबर, 1971 को तड़के ओड़िशा तट पर आया था और जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ था। करीब 10000 लोगों की जान चली गयी थी और दस लाख से अधिक लोग बेघर हो गये थे। अध्ययन के मुताबिक 1977 में 9-20 नवंबर के दौरान बंगाल की खाड़ी में दो उष्णकटिबंधीय तूफान उठे थे।
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दूसरा तूफान ‘चिराला’ बड़ा ही भयंकर गंभीर उष्णकटिबंधीय तूफान था, वह तटीय आंध्रप्रदेश से टकराया था। उस दौरान 200 किलोमीटर प्रति घंटे से हवा चली थी और पांच मीटर की ऊंचाई तक समुद्र में लहरें उठ थी। उसी दौरान भी करीब 10000 लोगों ने जान गंवायी थी और करीब 2.5 करोड़ डॉलर मूल्य के बुनियादी ढांचों एवं फसलों का नुकसान हुआ था।
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अकेले 1970-80 के दौरान चक्रवातों की वजह से 20000 लोगों की मौत हो गयी। इस शोधपत्र में कहा गया है, ‘‘ विश्लेषण से पता चला कि उष्णकटिबंधीय तूफानों की वजह से मौतों में पहले दशक (2000-09) की तुलना में आखिरी दशक (2010-19) में करीब 88 फीसद गिरावट आयी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि चक्रवात के दौरान मौतों की वजहों में इन सालों में मौसम पूर्वानुमान क्षमता में सुधार के साथ बदलाव आया है।