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जानिए क्या होगा अगर एक टीका कोविशील्ड और दूसरा टीका कोवैक्सीन का लगे?

covaxin

डेस्क: महामारी से लड़ने के लिए भारत में काफी तेजी से वैक्सीनेशन की प्रक्रिया जारी है। कोरोना वायरस से पूरे तरीके से सुरक्षित होने के लिए वैक्सीन के दो डोज (different vaccines in two doses) को अनिवार्य बताया गया है।

पहले दो डोज के बीच के अंतर को 28 से 56 दिन का बताया गया था। लेकिन अब दो डोज के बीच के गैप को बढ़ा दिया गया है। बताया जाता है कि दोनों डोज लग जाने के बाद शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन जाते हैं।

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स्वास्थ्यकर्मियों ने लगा दिए दो अलग वैक्सीन्स

भारत में लगाए जाने वाले वैक्सीन की दो कंपनियां covaxin और covishield है। पहले बताया गया था कि यदि पहला डोज कोवैक्सीन का लगाया गया है तो दूसरा डोज भी कोवैक्सीन (different vaccines in two doses) का ही लगाना जरूरी है। इसी तरह यदि पहला डोज कोविशिल्ड का लगा हो, तो दूसरा डोज भी कोविशिल्ड का ही लगाना होगा।

covid vaccintion in up

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लेकिन उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में स्वास्थ्य कर्मियों ने बहुत बड़ी लापरवाही की। उन्होंने कई लोगों को कोविड टीकाकरण की पहली डोज covishield की लगाई थी। लेकिन जब दूसरी डोज लगाने की बारी आई तो इन स्वास्थ्यकर्मियों ने उन्हें covaxin का टीका लगा दिया।

डरने की कोई बात नहीं है?

ऐसे में पूरे देश में अब टीकाकरण के प्रति दहशत फैल गया है कि यदि उन्हें भी दूसरे डोज में दूसरी कंपनी का टीका (different vaccines in two doses) लगा दिया गया तो क्या होगा? स्वास्थ्य कर्मियों की ऐसी गलती पर टीकाकरण पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों ने भी नाराजगी जताई।

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लेकिन इन वैज्ञानिकों की मानें तो पहले डोज और दूसरे डोज में अलग-अलग टीका (different vaccines in two doses) लगाया गया, तब भी इससे कोई नुकसान नहीं होगा। उनके अनुसार covaxin और covishield दोनों वैक्सीन का काम शरीर में एंटीबॉडी बनाना ही है। ऐसे में अगर दूसरे डोज में अलग वैक्सीन लग ही जाती है तो डरने की कोई बात नहीं है।

program error - different vaccines in two doses

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क्या है ‘प्रोग्राम एरर’?

कोविड-19 टीकाकरण पर निगरानी रखने के लिए बनाई गई वैज्ञानिकों की कमेटी वरिष्ठ सदस्य के अनुसार यदि दो डोज (different vaccines in two doses) अलग-अलग कंपनियों का टीका लगाया गया है तो इसमें दिक्कत की कोई बात नहीं है।

टीकाकरण के दौरा दो अलग-अलग वैक्सीन लगा देने की ऐसी घटना को “प्रोग्राम एरर” (program error) के नाम से भी जाना जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो इससे किसी प्रकार के जान माल का नुकसान तो नहीं है। लेकिन टीकाकरण अभियान में इसका असर पड़ सकता है।

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