भारत के दूसरे सबसे अमीर आदमी अजीम प्रेमजी कहे जाते हैं कंजूस बिलियनेयर, जानिए वजह
डेस्क: विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति हैं। उनकी कुल संपत्ति 2000 करोड़ रुपए से भी अधिक की है। वह अपनी संपत्ति के 34% हिस्से को देश की प्रगति के लिए दान कर देते हैं। 2020 में महामारी के दौरान उन्होंने प्रतिदिन 22 करोड़ रुपए दान किए। फिर भी उन्हें कंजूस बिलियनेयर कह कर पुकारा जाता है।
वर्तमान में विप्रो दुनिया का जाना माना आईटी कंपनी है लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। अजीम प्रेमजी के पिता तेल और साबुन बनाने वाली छोटी सी कंपनी चलाते थे। पिता के इसी कंपनी को 1980 में अजीम प्रेमजी ने संभालना शुरू किया और इसे आईटी और टेक्नोलॉजी के सेक्टर में उतारने का फैसला लिया। आज के समय में विप्रो कंपनी में लगभग दो लाख लोग काम करते हैं।
बंटवारे के बाद जिन्ना ने पाकिस्तान आने का दिया था न्योता
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 में एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद हाशिम प्रेमजी था। असीम के जन्म के 2 सालों के बाद ही देश आजाद हुआ साथ ही देश का बंटवारा भी हुआ। बंटवारे के कारण कई मुस्लिम परिवार भारत छोड़कर पाकिस्तान जाने लगे थे। इस दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना ने हाशिम प्रेमजी को भी पाकिस्तान आने का न्योता दिया। लेकिन असीम प्रेमजी ने भारत में रहकर ही अपना बिजनेस आगे बढ़ाना सही समझा।
तेल और साबुन की कंपनी बनी दुनिया की सबसे बड़ी आईटी कंपनी
मोहम्मद हाशिम प्रेमजी ने शुरुआत में एक तेल और साबुन की छोटी कंपनी शुरू की। वह चाहते थे कि उनका बेटा इस बिजनेस को और आगे बढ़ाए इसके लिए मुंबई में 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने अजीम प्रेमजी को अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में भेजा। वहां जाकर उन्होंने आईटी के महत्व को समझा। बता दें कि उस समय अमेरिका में कंप्यूटर बेहद आम हुआ करता था लेकिन भारत में कंप्यूटर प्रचलन में नहीं आया था।
पिता की मृत्यु की वजह से भारत लौटना पड़ा
1966 में पिता की अचानक मृत्यु होने के कारण उन्हें पढ़ाई को अधूरा छोड़कर भारत लौटना पड़ा। जिसके बाद उनके पिता के कंपनी की सारी जिम्मेदारी उन पर आ गई। हालांकि उनके परिवार वालों ने काफी समझाया कि विदेश में पढ़ाई करके लौटने के बाद वह तेल और साबुन के चक्कर में ना पड़े और कहीं अच्छी सैलरी वाली नौकरी करे। लेकिन अजीम प्रेमजी ने किसी की बात नहीं सुनी और अपने पिता के कारोबार को ही संभालने की ठानी।
1977 में बना विप्रो
पिता द्वारा छोड़कर गए बिजनेस को संभालते हुए अजीम प्रेमजी ने तेल और साबुन के अलावा भी कई उत्पाद बनाने शुरू किए। 1977 में उन्होंने अपने पिता की कंपनी का नाम बदलकर “विप्रो प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड” रख दिया। उस समय भारत आईटी के क्षेत्र में काफी पिछड़ा हुआ था। लेकिन अमेरिका में पढ़ाई करके लौटने के कारण अजीम प्रेमजी को आईटी का महत्व काफी अच्छे से पता था। अतः उन्होंने इसी क्षेत्र में कंपनी को आगे बढ़ाने की ठानी और फिर एक बार 1980 उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर “विप्रो लिमिटेड” कर दिया।
विप्रो बनी देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी
समय के साथ अजीम प्रेमजी बुलंदियों को छूने लगे और विप्रो देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी बन गई। वर्तमान में अजीम प्रेमजी देश के दूसरे सबसे अमीर आदमी हैं उन्होंने धन के साथ-साथ काफी नाम भी कमाया। 2001 में उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की जो सरकार के साथ मिलकर गरीब और बेसहारा लोगों की सहायता करती है।
क्यों कहे जाते हैं कंजूस बिलियनेयर?
अजीम प्रेमजी की कुछ ऐसी आदतें हैं जिन्हें आम लोग अजीब, कंजूस, मिडिल क्लास और गरीब मेंटालिटी के कहते हैं। उनके इन्हीं आदतों के कारण उन्हें कंजूस कहा जाता है। अजीम प्रेमजी ने अपने कंपनी के लिए कुछ ऐसे नियम बनाए हैं जो उनकी कंजूसी को दर्शाता है जैसे कि वनों के दोनों तरफ प्रिंट आउट निकालना, कॉफी या चाय के लिए छोटे कपों का प्रयोग करना ताकि चाय या कॉफी बर्बाद ना हो आदि।
वह कंपनी के हर एक संसाधन का पूरा हिसाब रखा करते हैं ताकि किसी भी चीज की बर्बादी ना हो। भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी के मालिक का कंपनी के हर छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखने के कारण ही उन्हें कंजूस कहा जाता है। इसीलिए उनका नाम कंजूस बिलियनेयर पड़ा।