उत्तर प्रदेश

मोहन भागवत के हिंदू-मुस्लिम एकता के बयान पर भिन्न दलों के नेताओं ने उन्हें घेरा, ओवैसी ने कह दी यह बात

डेस्क: बीते दिनों आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर काफी अच्छा बयान दिया था। उन्होंने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के एक समारोह में सभी को संबोधित करते हुए अपने बयान में कहा था कि पूजा पद्धति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। सभी भारतीयों का जीन एक है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था जो लोग चाहते हैं मुसलमान यहां नहीं रहें, वे सच्चे हिंदू नहीं है।

मोहन भागवत के इस बयान के बाद अलग-अलग पार्टियों के नेताओं ने उन्हें आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है। बसपा प्रमुख मायावती ने मोहन भागवत पर तंज कसते हुए कहा कि उनका यह बयान ‘मुंह में राम, बगल में छुरी’ जैसा है।

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह आरएसएस के एजेंडा पर ही चलती है। ऐसे में उनके कथनी और करनी में काफी अंतर दिखाई पड़ रहा है। उन्होंने मोहन भागवत का नाम लेते हुए कहा कि उनका यह बयान किसी के गले से नीचे नहीं उतर रहा है। उन्होंने आरएसएस पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह भाजपा की सरकारों से अपनी बात क्यों नहीं लागू करवा पा रही है।

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने मोहन भागवत के इस बयान को लेकर उनसे सवाल किया कि क्या आप यही शिक्षा मोदी, शाह और भाजपा के मुख्यमंत्री को भी देंगे? एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर मोहन भागवत को निशाने में लिया।

ओवैसी ने हिन्दू-मुस्लिम के बीच की नफरत को हिंदुत्व का देन बताया। उन्होंने कहा कि यह नफरत हिंदुत्व की देन है। साथ ही उन्होंने भाजपा को हिंदुत्ववादी सरकार बताते हुए कहा कि लिंचिंग करने वालों को सरकार ने पनाह दे रखी है।

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा- “आर एस एस के भागवत ने कहा कि लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी हैं। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फर्क नहीं पता होगा। लेकिन कत्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। यह नफरत हिंदुत्व की देन है। इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुस्त पनाही हासिल है।”

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