कलयुग में भी मां की ममता के आगे यमराज को माननी पड़ी हार, मृत बेटा फिर से हुआ जिंदा
डेस्क: मां की ममता का बखान पुराणों में भी मिलता है। कहा जाता है कि मां जितना प्रेम अपने बच्चे से करती है उतना प्रेम कोई भी किसी से नहीं कर सकता है। वह सदैव अपने बच्चों का हित चाहती है। लेकिन मां की ममता के आगे यमराज के भी हार मानने की सच्ची घटना के बारे जानकर आपको भी हैरानी होगी। कलयुग में भी यमराज को मां की ममता के आगे हार मानकर उसके बच्चे की प्राण लौटानी पड़ी।
डॉक्टरों द्वारा बच्चे को मृत घोषित करने के बाद ही मां की ममता के आगे यमराज को भी हार मानना पड़ा और उस बच्चे के प्राणों को लौटाना पड़ा। एक तरफ लोग जहां बच्चे के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे वही दूसरी तरफ उसकी मां को यह पूरा विश्वास था किसका बेटा वापस लौट कर जरूर आएगा। मां के विश्वास के आगे यमराज को पीछे हटना पड़ा।
हरियाणा के बहादुरगढ़ जिले की है घटना
दरअसल, हरियाणा के बहादुरगढ़ जिले में हितेश और जानवी नाम के दंपत्ति का पुत्र बीमार पड़ गया था जिसके बाद उसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां डॉक्टरों ने हुई उससे टाइफाइड होने की पुष्टि की और उनके बच्चे की हालत में कोई सुधार ना होने के कारण उसे दिल्ली ले जाने के लिए कहा। बच्चे के माता-पिता बच्चे को लेकर दिल्ली चले गए।
कर दिया गया था मृत घोषित
दिल्ली के अस्पताल में एडमिट कराने के कुछ समय के बाद ही वहां डॉक्टरों ने उस बच्चे को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों द्वारा बच्चे को मृत घोषित करने के बाद वह दंपति अपने बच्चे के शव को लेकर वापस अपने घर लौट आए। इस दौरान बच्चे की मां बच्चे से लिपट लिपट कर रोती रही। लौटने में रात हो जाने की वजह से सुबह को बच्चे का दाह संस्कार करने का फैसला लिया गया।
रात भर रोती रही मां
रात भर उसकी मां जानवी अपने बच्चे से लिपट कर रोती रही और कहती रही कि “तुम्हें कुछ नहीं हो सकता। तुम्हारे बिना मैं कैसे जिऊंगी? तुम्हें उठना होगा।” रात बीतने के बाद बच्चे के शरीर में थोड़ी बहुत हलचल होने लगी। बच्चे के शरीर में जल को देखते हुए उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। जिसके बाद में बच्चा बिल्कुल स्वस्थ होकर अपने घर लौटा।
गांव वाले मान रहे चमत्कार
गांव वाले इसे एक चमत्कार मान रहे हैं। उनका कहना है कि मौत के मुंह से यदि वह बच्चा आज लौट कर आया है तो इसके पीछे उसकी मां की ममता है। उनका मानना है कि कलयुग में भी मां की ममता के सामने युवराज को हार मानना पड़ा और बच्चे के प्राण को वापस लौटाना पड़ा।