शेखर का दावा : सुशांत की हत्या हुई है, ये रहे प्रूफ
डेस्क: अभिनेता व एंकर शेखर सुमन की बातों पर ध्यान दें तो आपको भी संदेह होगा कि सुशांत सिंह राजपूत ने आत्महत्या नहीं की है, क्योंकि ऐसा व्यक्ति आत्महत्या नहीं कर सकता. शेखर सुमन कहते हैं, सुशांत सिंह राजपूत के साथ मेरा कोई संबंध नहीं था, लेकिन हम लोग एक रियलिटी शो में मिले थे. जब वह नौजवान मुझे पहली बार मिला था. मुझे बहुत अच्छा लगा और एक बात यह भी है कि एक हंसता खेलता नौजवान की जब बिना किसी बात के मौत हो जाये तो सोचने के लिए विवश हो उठता. हां, यह तो और बात है कि किसी की भी मौत पर कुछ भी ट्विटर ट्वीट कर देना या कुछ कमेंट करना एक अलग बात होती है, लेकिन मेरे मन में इस मौत के पीछे क्या क्या कारण है, यह जानने को इच्छुक हो उठा और मैं इसकी जानकारी के लिए इसका बहुत छानबीन किया.
सुसाइड वही करता है, जो जिंदगी से हार चुका
उसके बाद मैं यह पूरी तरह से मानता हूं कि उसने आत्महत्या नहीं की. इसके पीछे कोई रहस्य है, क्योंकि मेरा यह मानना है कि सुसाइड वही करता है, जो जिंदगी से पूरी तरीके से हार चुका हो और हताश होकर कोई रास्ता ना सूझे. निराशा का एक ही रास्ता होता है कि जाकर आत्महत्या करे, लेकिन इस नौजवान की जिंदगी में ऐसा कुछ भी नहीं था. उसके सुसाइड करने की कोई वजह ही नहीं थी तो मुझे यह सुसाइड नहीं लगता.
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मेरा मानना है कि वह एक हंसता खेलता नौजवान था, जिसे जिंदगी में हर एक जंग से लड़ना आता था. एक छोटे शहर से निकल कर वह एक इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन करके उसके बाद उसने फिल्मी जगत में अपना पांव जमाया और बहुत नाम कमाया. टीवी और सिनेमा से उसने करोड़ों कमाये. मेरा मानना है कि शाहरुख के 30 साल की जिंदगी के बाद आज उनका वह स्थान सुशांत सिंह राजपूत ही बना पाया तो ऐसे में यह कैसे माना जा सकता है कि वह वह आत्महत्या किये होंगे. एक ऐसा इंसान जिसकी जिंदगी में कोई निराशा नहीं, हार माननेवाली कोई वजह नहीं.
उसकी जिंदगी खुशनुमा थी
फिर उन्होंने आत्महत्या क्यों की. मैं मानता हूं कि उन्होंने आत्महत्या नहीं की है. उसकी जिंदगी खुशनुमा थी. उसकी लाइफ पूर्ण रूप से सिक्योर थी. उसका जीवन प्रेम से उत्साहित था. फिर उसको क्यों यह कदम उठाने की जरूरत पड़ेगी. ऐसा इंसान जो हमेशा खुश मिजाज है. अचानक ऐसा क्या हुआ अंग्रेजी में कहते हैं ‘डेड नॉट स्पीक’ जो मर गया वह तो बात ही नहीं कर सकता है. उसे कुछ भी कह कर बदनाम कर लो वह तो फिर वापस आकर कुछ बोलनेवाला तो नहीं है. अपने डिफेंस में तो वह कुछ बोल ही नहीं सकता है.
मैं सबसे पहले उस पुलिसवाले को शुक्रिया अदा करना चाहूंगा, जिन्होंने उस वक्त वहां जाकर तस्वीर ली और छोटा सा वीडियो बनाया. उस वीडियो से बहुत कुछ साफ हो जाता है.
गले पर निशान
सबसे पहले मुझे संदेह इस बात को लेकर है, जो उसके गले पर निशान है. वह सिलैंडरिकल है जो आप देखें कि कोई गले में फांसी लगाता है तो निशान एक तरफ होगा, सिलैंडरिकल नहीं होगा. ऐसा निशान तभी होगा जब तक उसे बैठा कर, लिटा कर किसी व्यक्ति ने दो हाथों से या किसी चीज से उसका गला न दबाया हो.
उसके बाद पता चला कि सीसीटीवी कैमरा काम नहीं कर रहा था. उसे बंद कर दिया गया था. आप देखेंगे कि ज्यादातर क्राइम के स्पॉट पर सीसीटीवी कैमरा काट दिया जाता है, ताकि कोई सबूत नहीं बचे. यह महज संयोग नहीं हो सकता.
दूसरी बात जो डूप्लीकेट चाबी थी.
कोविड जमाने में चाभी बनानेवाला कैसे मिल गया
इस कोविड जमाने में जहां एक कुत्ता नहीं दिखाई पड़ता वहां एक चाभी बनानेवाला कैसे मिल गया, वो भी इतनी जल्दी और इल्केट्रॉनिक चाभी बनाने वाला. मेरे ख्याल से चाभी वाला ढूंढने से पहले पहले आपने दरवाजा तोड़ने की कोशिश की होगी. वहां दरबाजे पर चोट के निशान भी नहीं हैं. चाभी वाला भी इतना जीनियस था कि 10 20 मिनट के अंदर उस इलेक्ट्रॉनिक ताले को खोल दिया. फिर तो कंपनी को शर्म आनी चाहिए जो ऐसी चाभी बनाते हैं.
ये सब चीजें जो हैं वह मिस्टिरियस यह भी है कि वह लास्ट नाइट पार्टी में गया था. उसकी सुबह वो खुशहाल अवस्था में उठता है, जूस मांगता है. प्ले स्टेशन पर जाता है गेम खेलता है. जॉगिंग पर गया था तो भरी दुपहरी में वह सबकुछ करने के बाद सोचता है कि चलो अब सुसाइड करते हैं. यह मैं मानने के लिए तैयार नहीं हूं.
वह एक लेखक थे, वोकल थे. अक्सर कुछ लिखा करते थे. पोस्ट करते थे. वह अगर सुसाइड करते तो एक सुसाइड नोट जरूर लिखते.
This is not sucide.thats murder in first najar