मदद मिलती तो बन जाता कश्मीर का एलोन मस्क, गणित के शिक्षक ने बनाई सोलर, आनंद महिंद्रा ने दिया ऑफर
डेस्क: श्रीनगर के एक गणित शिक्षक बिलाल अहमद ने सौर ऊर्जा से चलने वाली कार बनाई जिसके बाद लोगों ने उनके तारीफों की पुल बांध दी। दिलचस्प बात यह है कि ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने जब आनंद महिंद्रा का ध्यान इस तरफ पहुंचाया तो उन्होंने बिलाल अहमद को एक ऑफर दिया।
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आनंद महिंद्रा ने श्रीनगर के एक गणित शिक्षक को मदद की पेशकश की है, जिसने सौर ऊर्जा से चलने वाली कार बनाई थी। कार के बोनट, बूट और यहां तक कि खिड़कियों पर भी सोलर पैनल लगे हुए हैं। इसमें जगह की कमी को पूरा करने के लिए गलविंग दरवाजे भी लगाए गए हैं।
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11 सालों तक किया शोध
बिलाल अहमद को यह कार बनाने के लिए 11 साल तक शोध करना पड़ा। इस कार को बनाने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ी क्योंकि उन्हें वह वित्तीय सहायता नहीं मिल सकी जिसकी उन्हें जरूरत थी।
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ईंधन की बढ़ती कीमतों ने उनके आविष्कार को और भी सामयिक बना दिया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बोला “मर्सिडीज, फेरारी, बीएमडब्ल्यू जैसी कारें एक आम व्यक्ति के लिए सिर्फ एक सपना है। कुछ ही लोग इसे वहन कर पाते हैं जबकि दूसरों के लिए ऐसी कारों को चलाना और उनमें घूमना एक सपना बना रहता है। मैंने लोगों को एक शानदार एहसास देने के लिए कुछ सोचा।”
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बिना किसी मदद के बनाई सोलर कार
उन्होंने कहा, “जम्मू और कश्मीर क्षेत्र देश के सबसे ठंडे इलाकों में से एक है, जहां आमतौर पर सर्द मौसम रहता है। इसलिए मैंने ऐसे सौर पैनलों का इस्तेमाल किया जो कम धूप के दिनों में भी उच्च दक्षता दे सकते हैं।”
अहमद की कार के बारे में पहली उल्लेखनीय बात यह है कि इसकी प्रत्येक सतह सौर पैनलों से ढकी हुई है। उन्होंने मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनलों का विकल्प चुना, जिसमें प्रत्येक फोटोवोल्टिक (पीवी) सेल एक एकल सिलिकॉन क्रिस्टल से बना होता है। ये अन्य मुख्य प्रकार के सौर रिसेप्टर, पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल की तुलना में अधिक किलोवाट-घंटे बिजली का उत्पादन करते हैं।
बनाने में खर्च हुए 15 लाख रुपये
1950 के दशक के विभिन्न मॉडलों का अध्ययन करने और अन्य विशेषज्ञों के साथ नेटवर्किंग करने के बाद बिना किसी बाहरी फंडिंग के इस कार को बनाने के लिए वह अब तक 15 लाख रुपये से अधिक खर्च कर चुके हैं।
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उन्होंने कहा, “यह सोलर कार पर्यावरण के अनुकूल है और मुफ्त ऊर्जा संसाधनों पर काम करता है। इसमें बाजार में क्रांति लाने की बहुत बड़ी क्षमता है।” जब उन्होंने पहली बार सुर्खियां बटोरी थीं, तब उन्होंने कहा था, “किसी ने मुझे कोई वित्तीय सहायता नहीं दी। अगर मुझे आवश्यक सहायता मिलती, तो शायद मैं कश्मीर का एलोन मस्क बन जाता।”
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Bilal’s passion is commendable. I applaud his single-handedly developing this prototype. Clearly the design needs to evolve into a production-friendly version. Perhaps our team at Mahindra Research Valley can work alongside him to develop it further. @Velu_Mahindra ? https://t.co/p6WRgQmcXo
— anand mahindra (@anandmahindra) July 20, 2022
आनंद महिंद्रा ने की मदद की पेशकश
अहमद की कहानी साझा करते हुए आनंद महिंद्रा ने कहा कि इनोवेटर का जुनून काबिले तारीफ है।
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उन्होंने ट्वीट किया, “बिलाल का जुनून काबिले तारीफ है। मैं उनके अकेले दम पर इस प्रोटोटाइप को विकसित करने की सराहना करता हूं। स्पष्ट रूप से डिजाइन को उत्पादन के अनुकूल संस्करण में विकसित करने की जरूरत है। शायद महिंद्रा रिसर्च वैली में हमारी टीम इसे और विकसित करने के लिए उनके साथ काम कर सकती है।”
इससे पहले, अहमद के प्रयासों को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी सराहा था।
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