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दिवाला कानून में संशोधन : लोन नहीं चुकाने पर नहीं होगी कार्रवाई, जानें किसको होगा फायदा

डेस्क: केंद्र सरकार ने दिवाला कानून में संशोधन का फैसला किया है. इससे कोविड-19 महामारी के दौरान लोन नहीं चुका पाने के नये मामलों में दिवाला एक्शन नहीं होगी. आपको बता दें कि देश में कोविड-19 के संक्रमण को लेकर 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ था.

जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार ने इनसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आइबीसी) में संशोधन के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है. इसके तहत कोविड-19 महामारी के दौरान लोन चुकाने में विफल के नए मामलों में दिवाला एक्शन शुरू नहीं होगी.  कोविड-19 पर अंकुश के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है.

कब से कब तक मिलेगी राहत

25 मार्च से छह माह तक लोन चुकाने में चूक या डिफॉल्ट के नए मामलों में दिवाला एक्शन शुरू नहीं होगी. इस कदम से कंपनियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि कोविड-19 महामारी और उसके बाद लागू राष्ट्रव्यापी बंद से आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.

नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 25 मार्च, 2020 या उसके बाद डिफॉल्ट के किसी मामले में छह महीने या उससे आगे (एक साल से अधिक नहीं) दिवाला एक्शन नहीं की जा सकेगी. इसमें कहा गया है कि किसी कॉरपोरेट कर्जदार के खिलाफ उपरोक्त अवधि के दौरान कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के तहत आवेदन नहीं किया जा सकेगा. इस अवधि के लिए सीआईआरपी प्रक्रिया को निलंबित किया गया है.

7, 9 और 10 छह माह की अवधि के लिए लागू नहीं होंगी संहिता की तीन धाराएं

संहिता की तीन धाराएं….7, 9 और 10 छह माह की अवधि के लिए लागू नहीं होंगी. इस संदर्भ में आईबीसी में एक नई धारा ‘10ए’ डाली गयीहै. धारा 7 और 9 वित्तीय और परिचालन के लिए ऋण देने वालों द्वारा दिवाला एक्शन शुरू करने से संबंधित है. धारा 10 कॉरपोरेट आवेदकों से संबंधित है.

आईबीसी के तहत कोई भी इकाई किसी कंपनी द्वारा लोन चुकाने में एक दिन की चूक होने पर भी दिवाला एक्शन के लिए आवेदन कर सकती है. इसके लिए न्यूनतम सीमा एक करोड़ रुपये है. पहले यह सीमा एक लाख रुपये थी. वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने 17 मई को कहा था कि सरकार दिवाला कानून के तहत कई रियायतें उपलब्ध कराएगी. इसके तहत एक साल तक के लिए नए मामलों में दिवाला एक्शन शुरू नहीं होगी.

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