मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ किया पापा के सपने को पूरा, ऐसे शुरू किया करोड़ों की कंपनी
![Niharika-Bhargav-The-Little-Farm](https://akjnews.com/wp-content/uploads/2022/05/Niharika-Bhargav-The-Little-Farm.jpg)
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डेस्क: बाजार में मिलने वाले अचार में हानिकारक केमिकल मिले होते हैं ताकि इन्हें अधिक समय तक अच्छा रखा जा सके। केवल अचार ही नही बल्कि सभी खाद्य उत्पादों में प्रिजर्वेटिव्स मिलाए जाते हैं। निहारिका भार्गव का मानना है कि बाजार में मिलने वाले अधिकांश उत्पाद अस्वस्थ होते हैं और उनका स्वाद घर में बने अचार के समान नहीं होता है। इसलिए उन्होंने एक ऐसा ब्रांड स्थापित करने का फैसला लिया, जो पूरे देश के रसोई तक स्वादिष्ट और जैविक पद्धति से बने अचार पहुंचा सके।”
मल्टीनेशनल कंपनी की छोड़ी नौकरी
लंदन से मार्केटिंग और इनोवेशन में मास्टर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद 2015 में भारत लौटने पर निहारिका को गुड़गांव के मल्टीनेशनल कंपनी में आसानी से नौकरी मिल गई। लेकिन वह खुद का बिजनेस करना चाहती थी इसलिए उन्होंने यह नौकरी छोड़ने का विचार बना लिया।
पिता से सिखा प्राकृतिक तरीके से अचार बनाना
उनके पिता काफी स्वादिष्ट अचार बनाया करते थे जिस वजह से निहारिका के दिमाग में अचार के बिजनेस का आइडिया आया। जब अपने इस विचार को उन्होंने अपने पिता को सुनाया तो पिता ने हंसते हुए कहा “अब जो कुछ करना है, वह तुमको ही करना है।” उन्होंने अपने पिता से अचार बनाना सिखा और अचार बनाने के बिजनेस में उतर गई। इस तरह से वह अपने पिता के सपनों को पूरा करने में लग गयी।
सालाना करोड़ों का टर्नओवर
आज उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर करोड़ों का हो गया है। निहारिका कहती हैं, “चूंकि हम किसी भी प्रिजर्वेटिव या एडिटिव्स का उपयोग नहीं करते हैं, हमारे कुछ अचार छह महीने या उससे कम समय में समाप्त हो जाते हैं। जबकि एक वर्ष से अधिक चलने वाले अचार पूरे वर्ष उपलब्ध रहते हैं। सुपर-फूड भी पूरे साल उपलब्ध रहती है।
जैविक पद्धति से उगाते हैं फल-सब्जियां
बता दें कि लिटिल फ़ार्म के पास लगभग 400 एकड़ हरे-भरे खेत हैं, जो देश के कुछ प्रदूषण मुक्त क्षेत्रों में से एक हैं, यहाँ जैविक कृषि पद्धतियों का उपयोग करके फल, सब्जियां और मसाले उगाए जाते हैं। निहारिका का कहना है कि अचार बनाना खाने की वस्तुओं को संरक्षित करने की एक सामान्य प्रक्रिया है जो प्राचीन काल से चली आ रही है।
लिटिल फार्म सरसों और तिल उगाकर अपना तेल खुद बनता है। अचार बनाने में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर मसाले जैसे सौंफ, धनिया, अजवायन, मेथी, लाल मिर्च, हल्दी भी खेत में ही उगाए जाते हैं। पास के एक खेत से कम सोडियम वाली सेंधा नमक और सल्फर-रहित तरल गुड़ आउटसोर्स करती है।
अचार बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले फलों और सब्जियों को संसाधित होने से 2 घंटे पहले तोड़ा जाता है। कोई कृत्रिम पकने की विधि का उपयोग नहीं किया जाता है और उत्पाद को प्राकृतिक रूप से पकने दिया जाता है।