मध्य प्रदेश सरकार का फैसला : कॉलेजों में पढ़ाई जाएगी ‘गीता’
डेस्क: मध्य प्रदेश सरकार अगले शैक्षणिक वर्ष से 1,360 कॉलेजों में द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए भगवद गीता को एक वैकल्पिक विषय के रूप में पेश करने की योजना बना रही है। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने कहा कि छात्रों में जीवन प्रबंधन और नैतिकता की भावना पैदा करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
शिक्षा मंत्री ने कहा, “भगवद गीता से संबंधित वैकल्पिक पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में, छात्रों को जीवन के मूल्यों, जीवन का प्रबंधन कैसे करें, और एक निडर जीवन कैसे जीना है आदि के बारे में सिखाया जाएगा।”
अन्य राज्यों में भी हो चुकी ऐसी घोषणाएं
गुजरात और कर्नाटक जैसे अन्य भाजपा शासित राज्यों ने भी पहले भगवद गीता को पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में पेश करने की योजना की घोषणा की है। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग की पाठ्यक्रम समिति के एक अधिकारी ने कहा कि एनी बेसेंट जैसी प्रसिद्ध हस्तियों के उदाहरण, जिन्होंने गीता की शिक्षाओं का पालन किया और उन्हें अपने जीवन में उतारा, उन्हें भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
चाणक्य की नीतियों को भी जोड़ा जायेगा सिलेबस में
उन्होंने कहा कि इस विषय में केवल श्लोक और उनके अनुवाद नहीं होंगे बल्कि पाठ्यक्रम को छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है। राज्य सरकार तीसरे वर्ष के कॉलेज के छात्रों के लिए एक वैकल्पिक विषय के रूप में भारत के महान दार्शनिक चाणक्य की नीतियों को भी पेश करने की योजना बना रही है।
अधिकारियों ने कहा कि 1,360 कॉलेजों में केवल 97 छात्रों ने श्री रामचरितमानस और पांच ने संस्कृत कर्मकांड विधान को चुना है। कॉलेज के एक शिक्षक ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, “छात्रों ने रामचरितमानस को केवल अच्छा स्कोर करने के लिए चुना क्योंकि उन्होंने किताब पढ़ी थी।”